असम के 15 वें मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का जीवन परिचय

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असम के 15 वें मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा

पूर्वोतर के चाणक्य के नाम से प्रशिद्ध, हिमंत बिस्वा सरमा ने असम के 15 वें मुख्यमंत्री के रूप में 10 मई 2021 को पदभार संभाला | इन्हें पूर्वोतर का चाणक्य यूँ ही नहीं कहा जाता है, सन 2015 में कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी का दामन थामने के बाद इन्होंने कुछ समय के अंतराल में ही  कुल सात में से पाँच राज्य में बीजेपी को सत्ता में पहुँचाया | हिमंत बिस्वा सरमा कांग्रेस में तरुण गोगोई के बाद सबसे लोकप्रिय चेहरा थे और ये कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस कि बेरुखी ने कांग्रेस को ले डूबी | हिमंत बिस्वा के साथ कांग्रेस को अपना सत्ता भी असम से गँवाना पड़ा | हिमंत बिस्वा सरमा अपने प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का सपना कॉलेज के दिनों से ही देख रहे थे, और बीजेपी में ज्वाइन करने का एक मात्र कारण भी मुख्यमंत्री बनाना था | लेकिन बीजेपी ने अपने पहले कार्यकाल में सर्वानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री बनाया और हेमंत बिस्वा शर्मा को नंबर दो का दर्जा दिया | लेकिन पिछले पाँच साल में बीजेपी के प्रति निष्ठा और लगन ने बीजेपी को अपने नियम -कानून को तोड़ने पर मजबूर किया | बीजेपी कभी भी दूसरे पार्टी से आये उम्मीदवार को बड़े पद (PM, CM) offer नहीं करती थी | लेकिन इस बार बीजेपी  ने हेमंत बिस्वा शर्मा को अपना मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाया |

तो आज के पोस्ट में मैं आपको असम के 15 वें मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जी के प्राम्भिक जीवन , शिक्षा , राजीतिक सफर और उनके संघर्ष को जानेगें |  

प्राम्भिक जीवन और शिक्षा

हिमंत बिस्वा सरमा का जन्म 1 फरवरी 1969 को जोरहाट के उलूबारी में होता है | इनके पिता का नाम कैलाश नाथ शर्मा और माता का नाम मृणालिनी देवी हैं। इनके पिता प्रशिद्ध कवी और लेखक हैं , और इनकी माता साहित्य सभा से जुडी हुई हैं |

कामरूप अकादमी से शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने प्रशिद्ध कॉटन कॉलेज गुवाहाटी में दाखिला लिया।

Interesting Facts: आपको कॉटन कॉलेज गुवाहाटी के बड़े में एक दिलचस्प आँकड़ा दे रहा हूँ | असम के कुल15 मुख्यमंत्री में से 7 ने इसी कॉलेज से पढ़ाई की थी | इस कॉलेज को मुख्यमंत्री पैदा करने वाला कॉलेज भी कहा जाता है | 

Himant vishwa sarma with old lady mother

इस कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के दौरान हेमंत बिस्वा सरमा छात्र राजनीती में आये | सन 1991-92 में वह कॉटन कॉलेज गुवाहाटी के जनरल सेक्रेटरी बने। वहीं गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से एलएलबी (कानून) और गुवाहाटी कॉलेज से पीएचडी की डिग्री ली। जिसके बाद उन्होंने 5 साल तक गुवाहाटी हाई कोर्ट में वकालत की भी प्रैक्टिस की।

हिमंत बिस्वा सरमा का Love-Life

लड़का 22 साल का था और लड़की सिर्फ 17 साल की|  जब लड़की ने कहा कि वह उसके भविष्य के बारे में अपनी मां को क्या बताएगी तो लड़का ने जवाब दिया था ‘‘अपनी मां को बता दो, मैं एक दिन मुख्यमंत्री (CM) बनूंगा | ’’ ये कहानी फिल्मी नहीं बल्कि एकदम हकीकत है | असम के 15 वें मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने सालों पहले रिनिकी भुइयां (Riniki Bhuyan) से यह बात कही थी जो बाद में उनकी पत्नी बनीं |  यह उस जमाने की बात है जब सरमा कॉटन कॉलेज के छात्र थे|

हिमंत बिस्वा सरमा मुख्यमंत्री का सपना कॉलेज के दिनों से ही देख रहे थे | सरमा की पत्नी रिनिकी भुइयां बताती हैं कि उनके पति कॉलेज के समय से ही मुख्यमंत्री बनने को लेकर आश्वस्त थे|  उन्होंने बताया कि हिमंत छात्र जीवन से ही अपने लक्ष्य को लेकर एकनिष्ठ थे और जानते थे कि उनको भविष्य में क्या बनना और करना है| हिमंत बिस्वा सरमा की पत्नी मीडिया क्षेत्र से हैं, और इन दोनों के बीच के दो बच्चे हैं- 19 साल के नंदिल बिस्वा सरमा और 17 साल की सुकन्या सरमा |

हिमंत बिस्वा सरमा का राजनीतिक सफर

वैसे तो हिमंत बिस्वा सरमा का राजनीतिक सफर कॉलेज के समय से ही शुरू होगा था , लेकिन इन्होंने अपना राजनीतिक-सफर 1996 में शुरू किया था ,और पहली बार 2001 में जालुकबाड़ी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में असम गण परिषद के नेता भृगु फुकन को पराजित किया था। इसके बाद 2006, 2011 और 2016 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर अपनी जीत का सिलसिला बनाये रखा। इस बार 2021 का चुनाव भी यहीं से लड़ा और छठवीं बार जीत हासिल की।

साल 2001 से 2015 तक जालुकबारी विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने कांग्रेस का दबदबा बरकरार रखा। 15 साल तक वे इस सीट से विधायक रह चुके हैं। साल 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। इसके बावजूद कांग्रेस से उन्हें तवज्जो नहीं दिया।

2016 के विधानसभा चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के साथ राजनीतिक मतभेदों के बाद, उन्होंने कई बार राहुल गांधी से मिलने की कोशिश की,मगर उन्हें हर बार राहुल से मिलने से रोका गया। इसके बाद वे नाराज होकर 21 जुलाई 2014 को कांग्रेस पार्टी के सभी विभागों से इस्तीफा दे दिया।और बाद में 23 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने कहा था कि 

” मैंने राहुल गाँधी से 8-9 बार बात करने का प्रयास किया। लेकिन उन्होंने मेरी बात सुनने से ज्यादा अपने कुत्तों के साथ खेलना बेहतर समझा। अपने आसपास मौजूद लोगों की बात सुनने से ज्यादा वे कुत्तों के साथ खेलने में बिजी रहते हैं। वहीं तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उनकी एक कॉल पर उनको मिलने के लिए वक्त दे दिया था। “

बीजेपी में हिमंत की एंट्री के साथ ही असम में पार्टी को दो मजबूत नेता मिले। एक सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal), दूसरे हेमंत बिस्वा। दोनों नेताओं ने मिलकर असम में बीजेपी को सत्ता तक पहुँचाया | BJP 1.0 में वें वित्त, कृषि और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण जैसे अहम विभागों के मंत्री रहे।

असम में लगातार दूसरी बार बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के पीछे हिमंत बिस्वा सरमा की जबर्दस्त मेहनत बताई जाती है कहा जाता है कि वो लोकप्रियकता के मामले में सर्बानंद सोनोवाल से किसी भी मायने में कम नहीं हैं और इस चुनाव में उनका जोरदार प्रचार अभियान, तेज व आक्रामक रणनीति बीजेपी की जीत की अहम वजह रही जिसके चलते पार्टी ने उन्हें सर्बानंद की जगह सीएम पद पर ज्यादा उपर्युक्त माना।

बिस्वा शर्मा का खेल प्रेम

हिमंता बिस्वा शर्मा को खेलों में विशेष रूचि है। डॉ। शर्मा को सर्वसम्मति से 2017 में भारत के बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया था। वह असम बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। जून 2016 में, उन्हें असम क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। डॉ। शर्मा 2002 से 2016 तक एसोसिएशन के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले उपाध्यक्ष भी थे।

Take -away from life of Himant Biswa Sarma :

1. आत्म-विश्वास से फैसला लेना सीखें :  कहते है आत्म-विश्वास और अति आत्म-विश्वास में बहुत पतली लकीर होता है | जो फैसला जोश में लिया जाता है उसे अति-आत्मविश्वास(Overconfidence) कहा जाता है , जबकि जो फैसला सोच-समझकर लिया जाता है उसे आत्मविश्वास (Self-Confidence) कहते है | आज जब हिमंत बिस्वा सरमा असम के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिए तो हम विश्वास के साथ कह सकते है की ये उनका आत्म -विश्वास ही था | यदि आप भी अपने जीवन में कुछ करना चाहते है तो आपको भी हिमंत बिस्वा सरमा की तरह पुरे आत्मविश्वास से आज ही फैसले लेने चाहिए, जो आगे चलकर एक न एक दिन जरूर पूरा होगा |

2. मेहनत , लगन और निष्ठा : शाहरुख खान के मूवी का एक बड़ा ही famous Dialog है ” यदि आप दिल से कोई चीज चाहते है तो पूरी कायनात उसे पूरा करने में लग जाती है “ | हिमंत बिस्वा सरमा के जीवन को पढ़ने और जानने के बाद यही लगता है, कि सरमा जी का जीवन भी इसी dialog से प्रेरित है | हिमंत सरमा ने एक बार CM बनने का फैसला कर लिया तो , कर लिया | फिर चाहे उन्हें पार्टी बदलना पड़ा , एक ऐसे पार्टी में ज्वाइन किये जँहा दूसरे पार्टी से आये उम्मीदवार को CM पद मिलने कि संभावना बहुत कम था | लेकिन उस सभी मुश्किल के बाबजूद उन्होंने मेहनत , लगन और निष्ठा से काम किया और अंत तह : वो मुख्यमंत्री बन ही गए | तो यदि आप भी अपने जीवन में कुछ पाना चाहते है तो उस काम के प्रति मेहनत, लगन और निष्ठा से लग जायें | आप अपनी मंजिल को जरूर पाएंगे |

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जय हिन्द
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