पिता की सलाह: व्रत का मतलब और असल जीवन
एक बार की बात है एक छोटे से शहर में एक गरीब परिवार रहता था , जो रोज़ सब्ज़ियाँ ख़रीद और बेच कर कर अपना और अपने परिवार का पेट भर रहा था ,
मोहन उस परिवार का मुखिया था , उसके परिवार में उसकी पत्नी और उसका एक बेटा सोहन था ,
मोहन रोज़ 50 रुपये की सब्ज़ी ख़रीद कर लाता और उसे 100 रुपये में बेच देता , 50 रुपये सब्ज़ियाँ ख़रीदने के लिए पहले रख लेता और बचे 50 रुपये से अपने घर का ख़र्च चलाता ,
ऐसे ही उसकी गुज़र बसर चल रही , दिन गुज़रते गए
फिर एक दिन उसके बेटे का व्याह हो गया , अब भी वही रूटीन था कि 50 की सब्ज़ियाँ लाता 100 में बेच देता ,
फिर एक दिन अपने बेटे को बुला कर कहता है कि मैं संन्यास ले रहा हूँ , जो काम मैं करता आ रहा था वो तू भी करना 50 की सब्ज़ियाँ लाना 100 में बेच देना ,
जो भी खर्च चलाना है वो प्रॉफिट के पैसे से चलाना , सब्ज़ियाँ ख़रीदने के लिए सबसे पहले 50 निकाल लेना ,
और कभी कोई बहुत बड़ी मुसीबत आजाए और कुछ समाधान ना मिले तब मेरे पास आजाना , वरना छोटी मोटी समस्या ख़ुद से निपटना ,
बेटे ने हाँ कहा फिर मोहन निकल गया भगवान का ध्यान करने ,
अब उसका बेटा भी वही करता कि 50 की सब्ज़ी लाता 100 में बेच देता , ज़िंदगी बढ़िया गुज़र रही ,
फिर एक दिन मोहन के बेटे की वाइफ ने मोहन के बेटे से मिठाई की डिमांड रख दी , अब मोहन का बेटा क्या करता , 50 का घर का खर्च + 5 की मिठाई , उसके बेटे ने सोचा 5 रुपये में कुछ नहीं होगा और 5 की मिठाई ले आया ,
उसदिन उसके 55 रुपये खर्च हो गए , अब बचे 45 रुपये ,
अब 45 की सब्ज़ियाँ लाया और 90 रुपये में बेच दिया , 50 का उसके घर का खर्चा , बचे 40 रुपये ,
अब सोहन 40 रुपये की सब्ज़ी लाया 80 रुपये में बेच दी , 50 का घर का खर्चा निकाल कर अब बचे 30 रुपये ,
30 रुपये देख कर सोहन की हालत ख़राब , सोचने लगा कल 30 की सब्ज़ियाँ ला कर 60 की बेचूँगा तो 50 घर का खर्चा निकाल कर 10 ही बचेंगे ,
सोचने लगा बीवी को 5 रुपये की मिठाई खिला कर बुरा फ़स गया , ज़िंदगी बर्बाद होने को आयी , पहले नहीं सोचा था कि 5 की मिठाई इतनी महँगी पड़ जाएगी ,
पापा ने भी कहा था कि सबसे पहले सब्ज़ियों के लिए 50 रुपये रख लेना , लेकिन में उसमें से 5 खर्च कर के गलती कर दी ,
अब आने वाले कल की सोच कर सोहन को नींद नहीं आ रही , सोच रहा कल तो वो कंगाल हो जाएगा ,
फिर पापा की बात याद आयी बोला था जब बहुत बड़ी मुसीबत में फस जाओ तब याद करना , इससे बड़ी मुसीबत क्या हो सकती है ,
इसलिए वो रात को ही अपने पिता मोहन से मिलने निकल पड़ा , मिल कर 5 की मिठाई की सारी बात बता दी और हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया कि बहुत बड़ी मुसीबत में हूँ कल से कंगाल हो जाऊँगा फिर घर परिवार कैसे चलाऊँगा ,
बेटे की बात सुन मोहन पहले नाराज़ हुआ फिर उसको बोला अब लौट कर घर जा और घर में सबको बोलना कि आज सब मिल कर लक्ष्मी माता का व्रत रखेंगे , जिससे लक्ष्मी जी की कृपा होगी
मोहन के बेटे सोहन ने ऐसा ही किया , घर जाकर सबको व्रत रखने के लिए कहा ,
अगले दिन सोहन 30 की सब्ज़ियाँ लाया , 60 की बेच दी , घर पर सबका व्रत , खर्चा कुछ ना हुआ ,
अगले दिन 60 की सब्ज़ियाँ लाया 120 की बेच दी , 50 रुपये खर्च निकाल कर अब सोहन के पास 70 रुपये बचे ,
अब 70 की सब्ज़ियाँ लाया 140 की बेच दी अब घर का खर्च निकाल कर सोहन के पास 90 रुपये बचे ! अब सोहन मिठाई भी ला सकता था , बेहतर ज़िंदगी जीने लगा
पिता की सलाह ने सोहन की ज़िंदगी बदल दी ,
असल ज़िंदगी में हर कोई मोहन और सोहन है , अपनी इच्छाओं को मारना ही व्रत है ,
लोगों को मिठाई खाने का मन करता है मतलब गाड़ी घोड़े , घर , मौज़ की ज़िंदगी में ज़रूरत के पैसे खर्च कर देते हैं , ज़िंदगी वहीं ठहर जाती है ,
अगर हम कुछ समय के लिए अपनी इच्छाओं को मार नियंत्रण कर लें तो आगे की ज़िंदगी बेहतर हो सकती है ,
निष्कर्ष :
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में हमें अपनी इच्छाओं को नियंत्रण करना बहुत महत्वपूर्ण है। पिता मोहन की सलाह ने उनके बेटे सोहन की जिंदगी को बदल दिया और उसे एक बेहतर दिशा में ले गया | व्रत का असली मतलब यह नहीं होता कि हम कुछ खा नहीं सकते, बल्कि यह होता है कि हम अपनी इच्छाओं को सावधानीपूर्वक नियंत्रित करके अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं। इसी तरह से, हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं और सफलता की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
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जय हिन्द