Who Move My Cheese book review in Hindi

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Who Move My Cheez book

इस दुनियाँ में कोई भी परिवर्तन को आसानी से स्वीकार नहीं करता है,  कुछ गिने -चुने लोग ही होते है जो परिवर्तन के लिए तैयार रहते है | जैसा भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है ” परिवर्तन इस संसार का नियम है ” | इस धरती पर परिवर्तन ही parament है, बाकि सब temporary है | हम अपने आस-पास होने वाले परिवर्तन को आसनी से महसूस कर सकते है | जैसे यदि आप अपने बचपन में जाते है तो आपके बचपन और अभी के बच्चों के बचपन में बहुत ज्यादा अंतर दिखता है |  हर दिन हमारे जीवन में कुछ न कुछ बदलाव होता रहता है | लेकिन इसके बाबजूद इस दुनियाँ के ज्यादातर लोग इस बदलाव को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होते है | वो बैठकर इस बदलाव को बस कोसते रहते है , क्यूँकि उनको इस परिवर्तन के साथ खुद को बदलना पड़ता है, जो उनके लिए बहुत ही ज्यादा पीड़ादायक है | मेरा चीज किसने हटाया (Who Move My Cheese ) के लेखक  स्पेंसर जॉनसन ने इस परिवर्तन को चार character (पात्र ) के माध्यम से बखूबी समझाया है | यह  बुक कई सालों तक Bestselling book के लिस्ट में नंबर one पर रही है |

तो आज के इस पोस्ट में मैं ” मेरा चीज किसने हटाया (Who Move My Cheese ) ” बुक का रिव्यु करने वला हूँ | वैसे मेरा सलाह होगा कि इस रिव्यु के बाद आप इस बुक को एक बार जरूर पढ़े |  

इस बुक में लेखक स्पेंसर जॉनसन ने होनेवाले परिवर्तन को समझने के लिए चार character (पात्र) का उपयोग किया है |  जिसमें से दो पात्र चूहे का है जिसका नाम ” स्निफ और स्करी ” तथा दो पात्र छोटे लोग का है जिसके पात्र का नाम ” हेम और हॉ ” है |

लेखक ने बहुत ही आसान भाषा में बहुत ही complicated मुद्दे को समझाया है | लेखक स्पेंसर जॉनसन ने इस चारों character के लक्ष्य के रूप में चीज का प्रयोग किया है | चीज जिसे हम हिंदी में पनीर कहते है | मैं इस कहानी को अपने ही भाषा में समझने का प्रयास करता हूँ |

आज कि परिदृश्य में आप कल्पना करें कि ये चारों  character , बेरोजगार युवक का प्रतिक है , जो हर हाल में job पाना चाहता है | जिसके तलाश में ये चारों युवक अलग -अलग ऑफिस में जाकर job के लिए interview देते है | कुछ समय के struggle के बाद finally इनको जॉब मिल जाता है |

जॉब मिलने के बाद ये लोग बहुत खुश होते है, और इसका आनंद लेना शुरू करते है | | लेकिन जॉब मिलने के बाद भी ” स्निफ और स्करी ” पढ़ना जारी रखता है और अपने स्किल्स पर लगातार काम करते रहता है| इसके साथ ही जॉब में हो रहे छोटे-छोटे बदलाव पर भी पूरी नजर रहता है| कहते का तात्पर्य यह है कि ये दोनों बहुत ही सक्रिय और सतर्क रहते हैं |

इसके उलट हेम और हॉ , जॉब मिलने के बाद अपने किताब और जॉब पाने के लिए जो जरुरी सामना था, उसे कंही दूर रख देते है , ऐसा सोच कर कि भविष्य में अब इसकी कोई जरुरत ही नहीं पड़ेगी, और वो दोनों हर दिन अपने समय से काम पर आते है, काम करते है और चले जाते है | कहने के तात्पर्य यह है कि ये दोनों बहुत comfortable और relax हो जाते हैं |

उन चारों का जीवन कुछ सालों तक ऐसे ही चलता रहता है | अचानक एक दिन वो ऑफिस पहुंचते है और पता चलता है कि उन चारों को जॉब से निकाल दिया गया है | ये सुनते है हेम और हॉ को बहुत जोर का झटका लगता है | वो दोनों वंही HR Manager से लड़ना शुरू कर देते है और तरह -तरह की बातें करने लगते है जैसे :  मुझे ऐसे कैसे निकल सकते हो , हमें निकालने का तुम्हार कोई अधिकार नहीं है , मैं कोर्ट जाऊंगा , बगेरा -बगेरा …….. |

इसके उलट स्निफ और स्करी को पता था कि ऐसा हो सकता है , क्यूँकि उन्होंने अपने कंपनी के position को लगातार monitor किया था, उन्होंने अपने साथ काम करने वाले दूसरे employee को जॉब से बहार निकालते हुए देखा था | इसलिए वे दोनों इसके लिए तैयार थे |

इसलिए स्निफ और स्करी ने HR Manger से उलझने के बदले , नया जॉब खोजने का फैसला किया , और ये सोचते ही दूसरे जॉब का तलाश शुरू कर दिया | वो लगातार अपने स्किल्स पर काम कर रहे थे इसलिए कुछ समय के स्ट्रगल के बाद उनको पहले से बेहतर जॉब मिल जाता है |

उधर हेम और हॉ , हर दिन सुबह उठते ही ऑफिस पहुँच जाते थे | उनको भरोसा था कि  कंपनी को दुबारा उनको जॉब देना ही पड़ेगा , इसलिए वो दोनों लगातार कोशिश कर रहे थे |  इस सब से परेशान हो कर हॉ नया जॉब ढूंढने का सोचता है लेकिन हेम उनको अपने तर्कों से रोक देता है | लेकिन हॉ ये समझ रहा था कि इससे कुछ नहीं होने वाला है, और वो अब इनसब से ऊब चूका था, और उसे इसमें अपना समय का बर्बादी लग रहा था |

आखिरकार एक दिन हॉ ने फिर से अपना किताब कॉपी और जरुरी सामान निकला और जॉब कि तैयारी में लग गया | हॉ अब अपने पुराने ऑफिस को छोड़ कर नए जॉब कि तलाश में लगातार भटक रहा था | कुछ महीनों के स्ट्रगल के बाद आखिरकार हॉ को भी जॉब मिल जाता है |

हेम अभी भी ऑफिस और कोर्ट का लगातार चक्कर लगा रहा है | इस उम्मीद में लगा रहा है , कि शायद किसी दिन ऐसा होगा कि उसे फिर से जॉब मिल जायेगा और उसका जीवन फिर से सुखमय हो जायेगा |

सारांश

इस छोटी सी  कहानी के माधयम से मैंने who move my cheese के पात्र को दर्शाने का प्रयास किया | इस दुनियाँ में एक से दो प्रतिशत लोग ही स्निफ और स्करी के तरह है | 30 – 40 % लोग हॉ के तरह होता है | जो कुछ समय बीतने के बाद और उस गलती को सुधारने का प्रयास करते हैं और सफल भी होते हैं |  जबकि बाकि के 50 – 60 % हेम कि तरह होता है जो बदलाव को गाली देते देते जिंदगी को बिता देता है, लेकिन बदलते नहीं है |

मेरा सलाह मानिये तो आप एक बार ये छोटी से बुक जरूर पढ़िए | मैं तो इस बुक का सारांश बताया हूँ | ये पूरा बुक आपके नजरिए को बिलकुल बदलकर रख देगा | ये बुक हिंदी में आप निचे के लिंक से खरीद सकते है |

आशा करता हूँ कि आपको ये post पसंद आया होगा | यदि आपको ये Post पसंद आया है,तो इसे अपने मित्रों और प्रियजनों के साथ साझा करें , साथ ही अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे फेसबुक और व्हाट्सप्प पर भी शेयर करें |

इस पोस्ट में यदि आपको किसी प्रकार कि त्रुटि लगे तो आप कमेंट के माध्यम से मुझे बता सकते है | मैं इसे सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हूँ | पूरा पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद|

जय हिन्द
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