जीवन में मित्र का महत्त्व और सच्चे मित्र की पहचान

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जीवन में मित्र का महत्त्व और सच्चे मित्र की पहचान
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एक आहात ह्रदय के लिए मित्र औषधि है, और आशापूर्ण आत्मा के लिए पोषण

वैसे तो हमारे शरीर में बहुत सारे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरुरी है या यूँ कहे जिसके बिना हम जी नहीं सकते है | लेकिन इन सब अंगों के बीच दिल का बहुत ही अलग स्थान है |

वैसे ही मानव जीवन में भी रिश्तो की एक लम्बी कतार है , लेकिन इन सब रिश्तो के बीच दोस्ती का अपना एक अलग ही स्थान है | दोस्ती दिल की तरह है, जिसके बाड़े में चिकत्सा के अनुसार ज्यादा बात नहीं होता है | लेकिन जब भी बात किसी भी तरह के भावनात्मक मुद्दे की होती है तो हर हमेशा फैसला दिल करता है |

किसी भी इंसान के जीवन में सच्चे मित्र का महत्त्व दिल की तरह होता है | हर किसी के जिंदगी में दोस्त होता ही है , लेकिन सच्चा मित्र है की नहीं ये नहीं कह सकता | हमरी जीवन हमारे घर में तो अपने परिवार के साथ बीतता है लेकिन बहार जाते ही हम किसी ना किसी दोस्त की ऊँगली पकड़कर चलना शुरू करते है |

यदि हम अपने छोटे बच्चे को भी बहार भेजते है तो वो भी जल्द ही किसी ना किसी से दोस्ती कर लेता है |  यदि हम बात मित्र की करें, तो आपको याद आयेगा अपने अभी तक जँहा भी गए है वँहा किसी ना किसी से मित्रता जरूर कि है , है की नहीं………..

तो कहने का अर्थ है कि आप दोस्त के महत्त्व तो समझ गए की , एक इंसान के जीवन में मित्र का क्या महत्व है | इसके महत्त्व से तो आप इंकार नहीं कर सकते है , हाँ कुछ और मुद्दे पर बहस कर सकते है……..

मित्रता का इतिहास

मित्रता का इतिहास भी बहुत स्वर्णिम रहा है | इतिहास में मित्रता का पहला प्रमाण त्रेतायुग में भगवन श्री राम और सुग्रीव की दोस्ती के लिए होता है , जिसमें दोनों के एक दूसरे के अंत तक मदद किया |

उसके बाद द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण और सुदामा ने दोस्ती की एक अलग मिसाल पेश किया, जिसे अबतक का सबसे बेहतरीन दोस्ती माना जाता है | क्यूँकि यह भगवन श्री कृष्ण ने निःस्वार्थ दोस्ती निभाया था |भगवान श्री कृष्ण ने ये दिखाया था की दोस्ती का सम्बन्ध दिल से होता है, बाकि चीज़ महत्त्व नहीं रखती है दोस्ती के सामने

इसके बाद द्वापर युग का एक और दोस्ती जो बहुत ही ज्यादा प्रिशिद्ध है वो है कर्ण और दुर्योधन का दोस्ती है , महाभारत के युद्ध होने का एक बहुत बड़ा कारण कर्ण और दुर्योधन का दोस्ती था | क्यूँकि दुर्योधन को कर्ण के ऊपर बहुत ही ज्यादा भरोसा था और कर्ण ने भी मरते दम तक उस भरोसे को जिन्दा रखा | कर्ण के मरने के बाद और भीम -दुर्योधन के गदा युद्ध से पहले, युधिष्ठिर कहते ” अभी भी तुम माफ़ी माँग लो मैं तुम्हें आधा राज्य वापस कर दूँगा “

तब दुर्योधन कहता ” जब मेरा मित्र राधे ही नहीं रहा तो मैं उस राज्य को लेकर क्या करूँगा ” | यह पंक्ति ये बताती है की दुर्योधन और कर्ण की दोस्ती क्या थी |

बाद में भी कई दोस्त हुए है जिसमें अकबर -बीरबल की दोस्ती , तेनाली रमन और कृष्णदेव राय की दोस्ती प्रमुख रहा है |

सच्चा मित्र की पहचान

वैसे तो हर किसी को पता होता है की कौन उसका सच्चा और अच्छा मित्र और कौन नहीं है | लेकिन कभी कभी गलतफमी में हम एक अच्छे मित्र को भी छोड़ देते या खो देते है | इसलिए मैं आपको कुछ तरीका बताने वाला हूँ जिसकी मदद से आप सच्चे दोस्त को पहचान पाएंगे और गलतफमी को भी दूर कर सकते है |

1. कुछ कहने से पहले ये ना कहना पड़े कीकिसी को मत कहना

जी हाँ “कुछ भी कहने से पहले , ये ना कहना पड़े की किसी को मत कहना ” यदि आप इस लाइन का प्रयोग अपने दोस्तों के साथ करते हो तो इसका मतलब है आपको अपने दोस्त पर भरोसा नहीं है | जिस मित्र के पास ये लाइन बोलने का जरुरत नहीं है | मतलब वो आपका सच्चा मित्र है और वो आपके भावना का कद्र करता है | आपको अच्छी तरह से समझता है |

 नए दोस्तों के साथ अक्सर इस लाइन का प्रयोग होता है | लेकिन पुराने मित्र के साथ इस तरह की फोर्मलिटी का जरुरत नहीं रहता है |

2. आपके सामने झूठ नहीं बोलेगा

सच्चे और अच्छे मित्र कभी भी झूठ नहीं बोलता है | हम-सब के पास ऐसे बहुत सारे दोस्त होता है जो बात बात पर झूठ बोलता है | लेकिन वो आपको अपना सच्चा दोस्त बताने से भी नहीं चुकता है , और उसका झूठ भी हमको समय के साथ पता भी चल जाता है |

इसके उलट सच्चा मित्र ऐसे-ऐसे सच बताता है , जो वो अपने घरवाले को भी नहीं बताता है | शायद आप भी ऐसा किये होंगे , या आपका सच्चा मित्र आपके सामने जरुरु किया होगा ……

3. आपकी गलती को आपको ही बताएगा

सच्चा मित्र आपकी गलती को आपके बतायेगा , वो किसी बात कि परवाह नहीं करता है , वे आपसे कहते होंगे की आपके अन्दर यह बात बहुत ही बुरी है की आप किसी की बात नही सुनते हो या फिर आप हमेशा गलत ही बात करते हो या कभी भी तुम समय देख कर बात नही करते हो अपने व्यवहार में तुमको यह बदलाव लेन चाहिये , तो आपको निश्चय ही यह समझ लेना चाहिए की यह आपके सच्चे मित्र है

 क्योकि जब कोई भी व्यक्ति हमारी गलती किसी और से ना कह कर आपको ही बता रहा है तो इसका मतलब यह है की वह नही चाहता की आपकी यह बुराई लोगो के सामने झलके ! यह एक सच्चे मित्र की पहचान होती है की आपकी कमी को आपके मुंह पर ही कहेंगे, यँहा तक की दोस्ती टूटने का परवाह नहीं करते है |

4. हमेशा साथ निभाएगा !

सच्चा मित्र आपका हमेशा साथ निभाता है, आप खुद भी महसूस करते होंगे ,चाहे आप खुश हो, या दुःखी आप अपना सारा भावना अपने दोस्त के साथ ही साझा करते होंगे |

किसी महापुरुष ने कहा ” जिंदिगी में दुःख का आना जरुरी है, क्यूँकि दुःख में ही अपनों का पहचान होता है ” और कथन भी 16 अना सत्य है | क्यूँकि ख़ुशी में तो हिजड़ा भी साथ होता है, और हो सकता है की आपका सच्चा मित्र ही आपके ख़ुशी के समय आपके पास ना हो, लेकिन जब दुःख होगा तो आपका सच्चा मित्र आपके साथ जरुरु होगा | सच्चे और अच्छे मित्रता का ये बहुत बड़ा वसूल है |

5. सच्चा मित्र आपको हमेशा प्रेरित करेगा

जिनके अन्दर दुनिया के लिए  प्यार और मित्रता का भाव होता है उनके अन्दर यह भावना कभी भी नही हो सकती है की कोई भी इन्सान के किये हुए कार्य से उसको कोई भी तकलीफ हो सकती है, और हमेशा आपके व्यक्तितत्व को उच्च करने की  प्रेरणा ही आपको देंगे उनके मन की भावना यही होगी की आप हमेशा तरक्की करो अगर उसमे कोई भी अड़चन है तो वे उसमे आपको सहयोग भी करेंगे !

आपकी लगन को हमेशा जागते रहेंगे ! अगर आपकी किसी भी कार्य के प्रति रूचि कम हो जाती है तो आपके हितेषी मित्र आपकी रूचि को बढ़ने का प्रयास ही करेंगे ! हमेशा आपके लिए कोई ऐसी परिस्थिति बनायेंगे की आप के अन्दर एक उत्साह का संचार होने लग जाये !

6. सच्चा मित्र जलेगा लेकिन दीपक की तरह

हम जब अपने आस -पास के दोस्तों , परिजनों के सफलता के बाड़े में सुनते है तो मन के अंदर ईर्ष्या जन्म लेता है | लेकिन ईर्ष्या भी कई तरीके से काम करता है | ये बात मुझे मेरे सफलता और मेरे दोस्त के सफलता के बाद पता चला,  जब मेरा दोस्त मुझे बताया कि ” जब तुम्हारा नौकरी लगा तो मुझे बहुत ज्यादा ख़ुशी हुआ था ” | लेकिन जब मेरा नौकरी लगा तो तुमको कैसा लगा , मैं बोला ” सच बोलू तुम्हारा नौकरी लगा तो मुझे भी ख़ुशी हुआ लेकिन जब पता चला की दोनों भाई का हो गया तो मैं जला  “

उसके बाद मैंने कहा ” मैं जला तो था लेकिन दीपक की तरह , जिसका उदेश्य अपने घर में भी प्रकाश लाना है | और दीपक कि तरह जलाना चाहिए , शायद यही वो भावना है जिसके करना सभी लोग अपना प्रोग्रेस करना चाहते है “

यदि आपका दोस्त भी आप से दीपक की तरह जलता है तो अच्छा है | लेकिन आपको जलाने का भावना रखता है तो उससे दुरी बनान शुरू करें | एक सच्चा मित्र आपसे प्रेरणा लेगा कि अपने मेहनत किया और सफलता पाया , और आपके सफलता में सहभागी बनेगा आपके साथ उस सफलता पर ख़ुशी व्यक्त करेगा ! हमेशा की तरह ही उसका व्यवहार रहेगा ऐसा नही होगा की आपकी सफलता से चिढ कर आपसे बात नही करे आपकी बुरे करने लग जाये कहने का मतलब यह है कि  सच्चा मित्र कभी भी आपकी सफलता से दुखी नही होगा ! आपकी सफलता को भी अपनी सफलता का हिस्सा ही मानकर आपके साथ और सहयोग की भावना ही रखेंगे !

7. आपका कभी भी अपमान नही करेगा

हम अक्सर देखते है एक मित्र यदि दूसरे मित्र के साथ उसके हित का बात भी कर रहा होता है | तो भी सुनने वाले मित्र को यदि लगता है की ये कुछ जय्दा होशियार हो गया है , मुझे बेज्जत कर रहा है, अपने आप को स्मार्ट समझ रहा है | हमलोग के साथ अक्सर ऐसा होता है |

हम मित्र की बातो को समझने का प्रयास नहीं करते है ,इसके उलट “हमारा समय ख़राब चल रहा है , तुम्हारा किस्मत साथ दे दिया इसलिए तुम्हारा बोली निकल रहा है “, और ना जाने क्या -क्या बोलते और सोचते है |

लेकिन सच्चई इसके बिल्कुल उलट होता है | कभी कभी इंसान कुछ बात के कारण या किसी घटना के कारण अटक से जाते है | आपका सच्चा मित्र आपको उससे बहार निकालने का प्रयास करता है | लेकिन हम ही होते है जो अपने उस स्तिथि को अपनी जीवन माने बैठते है |

यदि आपका भी कोई मित्र आपके साथ ऐसा करता है तो समझिए वह आपका सच्चा मित्र है | उससे मदद लें वो आपकी स्तिथि को बदलने में मदद करना चाहता है | ऐसे मित्र जीवन में प्रकाश की तरह होता है | गलतफमी में ऐसे दोस्त का साथ मत छोड़े |

8. गलतफमी दूर करें

दोस्ती में अक्सर किसी परिस्तिथि , व्यक्ति या किसी और कारण से कभी गलतफमी जन्म ले लेता है | जिसके बाद हम अपने मित्र से धीरे -धीरे मिलना -जुलना कम करने और एक समय बाद बिलकुल से बात -चित सब बंद कर देते है | जो कि किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है |

हमें उस बात को जानना चाहिए की वो बात सही है भी या नहीं | इसके लिए मेरी सलाह है मित्रता खत्म करने से पहले एक बार अपने मित्र से वो बात जरुरु स्पस्ट करें | कभी भी दूसरों के बातों पर अपनी मित्रता का बलिदान ना दें | मित्रता भगवान का दिया हुआ बहुत बड़ा उपहार है, इसे यूँ ही व्यर्थ ना दें

सचमुच उत्कृस्ट मित्र ढूँढना मुश्किल , छोड़ना मुश्किल और भूलना नामुमकिन है

आशा करता हूँ आपको ये पोस्ट बहुत पसंद आया होगा | यदि पोस्ट अच्छा लगा है तो अपने मित्रों के साथ साझा करे |

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14 Comments

  1. मित्रता को परिभाषित करती बहुत ही प्रशंसनीय लेख।
    आगामी भविष्य के लिए असीम मंगलकामनाएं।

  2. Pingback: खुशी क्या है - नवjeevans wellness नवjeevans खुशी क्या है

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