रक्षाबंधन भाई -बहन के रिश्ते की पवित्रता और आधुनिकरण का प्रभाव

Spread the love
रक्षाबंधन भाई -बहन के रिश्ते की पवित्रता

रक्षाबंधन हिन्दू धर्म का बहुत ही पावन पर्व है | जो हिन्दू के आलावा जैन धर्म के लोग भी बहुत हर्ष उल्लास के साथ मानते है | हर पर्व की तरह इसका भी एक अपना ही महत्व है |

रक्षा -बंधन हर साल श्रावण मास के पूर्णिमा को मनाया जाता है | इस साल का रक्षाबंधन का महत्त्व थोड़ा बढ़ जाता है क्यूँकि एक तो श्रावण मास का सोमवारी है दूसरा रक्षाबंधन , तो 2020 का रक्षा-बंधन 3 अगस्त को मनाया जायेगा | 

वैसे रक्षाबंधन का इतिहास बहुत पुराण है | सबसे पहले इसका वर्णन महाभारत में भगवान श्री कृष्णा और द्रौपदी के रिश्ते के सन्दर्भ में मिलता है | बाद में इससे जुडी कई और भी घटना का वर्णन मिलता है |

लेकिन आज के अपने इस पोस्ट में मैं रक्षाबंधन के आधुनिकरण या बदलाव के बाड़े में बात करने वाले है | और साथ ही हम इस पर्व को और भी खूबसूरत कैसे बना सकते है इसके बाड़े में बात करने वाले है , तो इसे समझने के लिए कृपा करके पूरा पोस्ट पढ़े :

आधुनिकरण

1. राखी :

मुझे याद है जब मैं बच्चा था तो राखी कुछ और तरीके का मिलता था, तब मार्किट में राखी के बहुत कम क्वालिटी होता था और लगभग सभी लोग एक तरह के राखी का उपयोग करते थे और राखी का दाम में भी समानता रहता था | कुछ लोग तो घर में ही कच्चे धागे का राखी की तरह उपयोग करते थे | कहने का मतलब है राखी के ऊपर रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता है |

लेकिन अब राखी के ब्रांड आ गए है , मार्किट में आपको सभी रेंज के राखी मिलेगा | आप अपने औकात के हिसाब से राखी खरीद सकते है , अब राखी भाई -बहन के प्यार का प्रतिक नहीं है बल्कि  आपके औकात का प्रदर्शन होता है | अब राखी का प्रयोग लोग अपने धन का प्रदर्शन करने के लिए करते है |

अब ना तो वो पुराणी वाली राखी रही और ना ही रक्षाबंधन |

2. उपहार :

मुझे याद नहीं मैं बचपन में अपने बहन को क्या उपहार दिया है | मेरी प्यारी बहन राखी बंधिति थी और लड्डू खिलाती थी और हम मज़े से खा के निकल जाते थे | और कभी भी नहीं पूछती थी कुछ गिफ्ट नहीं दिया |  कभी माँ -पापा कुछ दे दिए तो दे देता थे बहन को नहीं तो उपहार का तो ख्याल भी नहीं आता था |

लेकिन अब उपहार प्राथमिकता में आ गया है | और आये भी क्यूँ ना बहन जानती है ” वैसे भी ये भाई किसी काम में आनेवाला है नहीं तो कम से कम राखी के पैसे तो वसूलना है ना “

सही मायने में रक्षाबंधन अब भाई -बहन के प्यार का नहीं बल्कि उपहार का त्यौहार होता जा रहा है | जबतक सही उपहार दे रहे है तब तक ये पर्व है |

3. व्यवहार

मुझे अच्छे से याद है पहले इस पर्व में घर का माहौल कुछ और होता था , किसी को एक भाई है फिर भी वो एक से ज्यादा राखी खरीदता था| अपने आस -पड़ोस के सभी लड़को को राखी बांधती थी | और हाँ सभी का राखी भी एक जैसा होता था।, यदि कोई बहार से आये तो देखकर ये कह सकते थे की हाँ इसके पांच भाई है, क्यूँकि पांचो का राखी एक तरह के होते थे |  माता -पिता भी बच्चो को प्रोत्साहित करते है |

लेकिन अब वो समय नहीं रहा , पहला कारण माहौल इतना ख़राब होगया है की आज के लड़के अपने आस-पड़ोस सिर्फ लड़की देखते है , बहन तो उनको दिखता ही नहीं है, पहले के लोग पूरा गांव के लड़की को बहन मानते थे | जिसके कारण आज भी ये प्रथा कायम है की कोई भी अपने गांव में शादी नहीं कर सकता है |   

दूसरा कारण महँगी राखी का प्रचलन , हर कोई दिखावा के चक्कर में इतना महँगा राखी खरीदता है की अपने दो भाई में कंफ्यूज हो जाता है , कौन ज्यादा अच्छा गिफ्ट देता है अच्छा वाला उसको बांधना है | तो अपने पड़ोसी के भाई को कँहा से बांधे , और गलती से यदि बांध भी दिया तो लोग आसानी से अंतर कर सकते है की कौन उसका सागा भाई है |

और अब माता -पिता भी उतना बढ़ चढ़ कर हिस्सा नहीं लेते है | कुछ नया करने का प्रयास भी नहीं करते है | शायद बच्चों को पता भी नहीं होता की ये रक्षा बंधन का क्या महत्त्व है और ना ही घर के बढ़े इस काम को करने में दिलचस्पी दिखते है |

जबकि किसी भी पर्व का महत्त्व, उसे मानाने के उदेश्य और व्यवहार से ही पता चलता है |      

4. व्यस्तता

मुझे याद है , जब मैं छोटा था , उस समय रक्षाबंधन में भाई -बहन का एक-दूसरे से मिलना बहुत ही आम बात था | बहन की यदि शादी हो गया है , बहन अपने पति के साथ अति थी या भाई जरूर जाता था राखी बंधवाने के लिए | कहने का मतलब लोग इस पर्व के महत्त्व को मानते थे |

लेकिन अब लोगों के व्यस्तता के कारण , ये मिलना-जुलना बहुत कम हो गया है | व्यस्त होना अच्छी बात है , आज लोग जॉब कर रहे है अलग -अलग शहर में रह रहे है , हज़ारो किलोमीटर दूर रह रहे है , तो आने में परेशानी स्वभाविक है |

बहुत बहन राखी भेज भी देती है , लेकिन फिर भी रिश्ते में जो मिठास होना चाहिए उसकी बहुत कमी है | रिश्ते के नींव को मजबूती देने के लिए भाई -बहन का मिलते रहने बहुत जरुरी होता है | और रक्षाबंधन तो भाई का अपने बहन की रक्षा का वचन है तो इसके लिए बहुत ही ज्यादा त्याग की जरुरत है |

मैं अपने अनुभव के आधार पर कह रहा हूँ की कभी कभी इस तरह का रिश्ता गलतफैमी का भी शिकार हो जाता है | यदि पत्नी के साथ किसी तरह का परेशानी होता है तो हम कुछ समय में हल कर लेते है | लेकिन इस तरह के दूर के रिश्ते को ठीक करने में कई महीना और साल लग जाता है |

इसलिए अपनी व्यस्तता के बाबजूद मिलते रहिये यदि ये इस रिश्ते की जरुरत है |

रक्षाबंधन की पवित्रता

रक्षाबंधन की पवित्रता या रिश्ते की पवित्रता को बनाये रखने के लिए हमें कुछ -कुछ छोटे प्रयास करने का जरुरत है | वो प्रयास निम्नलिखित है :

1. रक्षाबंधन को महत्व दे यानि रिश्ते को महत्त्व दे राखी को नहीं |

2. उपहार किसी भी रिश्ते से बढ़कर नहीं होता है,  इसलिए उपहार का महत्त्व नहीं दें | उपहार देना हो तो ऐसा उपहार दें जो जिंदगी बदले और यदि बदल नहीं सकता है तो कम से कम जिंदगी में कुछ महत्त्व तो रखे | मैं समझ सकता हूँ की सभी लोग ऐसा उपहार नहीं दे सकते है , आप यही सोच रहे है ना ,

 ऐसा नहीं है आप दे सकते है क्या आप अपने बहन के लिए 12 रुपया का एक PMSBY नहीं दिला सकते है | क्या आप PMJJY नहीं दिला सकते है | क्या आप एक 100 रूपया का किताब नहीं दे सकते है | क्या बहन के बच्चों को किताब नहीं दिला सकते है | ऐसे हज़ारों उपहार है जो आप दे सकते है |

इस कोरोना के समय अपने बहन को एक गिलोय का पौधा गिफ्ट करे | क्या आप नहीं कर सकते है , कर सकते है

3 आप अपना मन चाहा उपहार दें , दुनियाँ की परवाह मत करें ” ये मत सोचे की दीदी की सास क्या सोचेगी”, ” दीदी क्या बोलेगी “

4. लोगों के सोच बदलने का प्रयास करें, शुरआत करें |

5. बहन से साल में एक बार तो जरूर मिले और सिर्फ बहन से मिले , “आँख में आँख डालकर पूछे कोई तकलीफ तो नहीं है ”  देखिए सारा परेशानी कैसे बहार आ जायेगा |  बहन के दुःख का साथी बने

6. सिर्फ मिठाई खाये ही नहीं अपने बहन को भी खिलाये, रिश्ता मजबूत होता है |

आशा करता हूँ ये पोस्ट अच्छा नहीं बहुत ही अच्छा लगा होगा , और यदि नहीं लगा हो तो कमेंट करके गली दें , मुझे कोई तकलीफ नहीं होगा | और हाँ यदि अच्छा लगा हो तो इस पोस्ट को सभी के साथ शेयर करें और एक नए तरीके से रक्षाबंधन का त्यौहार मानते है | दोस्तों अपना ख्याल रखें और अपने बहन का भी ख्याल रखें |

जय हिन्द

ये भी पढ़े

अकेलापन श्राप या वरदान

दीपक हमें क्या कहता है

डिप्रेशन से बहरा निकलने का बेहतरीन तरीका

Similar Posts