जाने विश्व शांति दिवस का इतिहास , शांतिदूत, theam और इसके महत्त्व
शांति के लिए चाहे जो भी कीमत चुकानी पड़े फिर भी वो सस्ती ही होती है “
महाभारत युद्ध से पहले युधिष्ठिर जब अपना शांति दूत भेज रहे थे | उस सभा में उपस्तिथ ज्यादातर सदस्य उसका विरोध कर रहे थे | और वो अपने अपने तर्क से ये साबित करने का प्रयास कर रहे थे कि शांति दूत भेजने का कोई औचित्य ही है | लेकिन भगवान श्रीकृष्ण शांति प्रस्ताव के पक्ष में थे |
तभी क्रोध में भीम खड़ा होते है और बोलते है ” यदि शांति हुआ तो फिर मेरी प्रतिज्ञा का क्या होगा वासुदेव, क्या पाँचली के बाल ऐसे ही खुले रहेंगे ” |
फिर भगवन श्रीकृष्ण भी जोश में खड़े होते है और कहते ” कोई भी प्रतिज्ञा , शांति से बड़ी नहीं हो सकता है मंझले भैया, क्या आपकी प्रतिज्ञा इस धरती से बड़ी है ? शांति के लिए चाहे जो भी कीमत चुकानी पड़े फिर भी वो सस्ती ही होती है “
आज का हमरा पोस्ट international day of peace यानि विश्व शांति दिवस के बाड़े है| मैं आपको बताऊंगा विश्व शांति दिवस क्या है और इसकी शुरआत कब हुआ और इसका उदेश्य क्या है | साथ ही आप ये भी जानेंगे कि इस साल के विश्व शांति दिवस का थीम क्या है | विश्व शांति दिवस के बाड़े में जानने के लिए पूरा पोस्ट जरुरु पढ़े
इतिहास
संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व भर में फैली अशांति और तनाव को देखते हुए 1981 में विश्व शांति दिवस मानाने का शुरुआत कि | 1982 से लेकर 2001 तक प्रत्येक साल विश्व शांति दिवस सितम्बर के तीसरे शनिवार को मनाया जाता था |
लेकिन सन 2002 से इसे प्रत्येक साल 21 सितम्बर को मनाया जाने लगा |
शांति दिवस का शांतिदूत : कबूतर
प्रशिद्ध चित्रकार पिकासो ने एक चित्रकारी बनाई थी जिसमे सफ़ेद कबूतर ओलिवा का पत्ती चोंच में लिए हुआ था | जिस तस्वीर को सन 1949 में वर्ल्ड पीस कांग्रेस (World Peace Congress ) ने शांति के प्रतीक के रूप में चुना था | जिसके बाद से कबूतर को शांति के प्रतीक से रूप में माने जाने लगा |
विश्व शांति दिवस के शांतिदूत सफ़ेद कबूतर को माना जाता है ,| कबूतर को शांति का प्रतीक यूँ ही नहीं कहा जाता है , इसके पीछेऔर भी कई कहानी है जिसमें से एक का मैं यँहा वर्णन कर रहा हूँ |
एक बार दो राज्य के राजाओं में युद्ध होने वाला था | दोनों राज्य के राजा युद्ध क्षेत्र की तरह कूच करने वाले थे | इसके पहले एक राज्य के राजा युद्ध वस्त्र पहन रहे थे वस्त्र से सुसज्जित होने के बाद उन्होंने अपने लोहे का मुकुट माँगा , तब राजा कि माँ बताती है की उसमें एक कबूतर ने अपने अण्डे दिए है | इसलिए तुम्हें बिना मुकुट का जाना होगा | हम कबूतर और उसके बच्चे के घर को नहीं उजाड़ सकते है | राजा अपने माँ का आशीर्वाद लेके युद्ध में चला जाता है |
दूसरे राज्य के राजा ने जब उस राजा को बिना मुकुट के देखा तो वो इसका कारण जानना चाहा, कारण सुनकर राजा बहुत आश्चर्यचकित हुआ | दूसरे राज्य के राजा ने बोला ” जो राज्य किसी पक्षी पर भी अत्याचार नहीं कर सकता है | हम उस दयालु राजा और उसके प्रजा को कैसे मार सकते है, ये तो मुझसे अनर्थ होनवाला था “
राजा के व्यवहार से प्रभावित होकर उससे दोस्ती कर लिया | इस तरह से एक भयानक युद्ध टल गया तब से सफ़ेद कबूतर को शांति का प्रतीक माना जाने लगा |
यही सब कारण है कि विश्व शांति दिवस पर सफ़ेद कबूतर को उड़ाकर शांति का पैगाम दिया जाता है और एक -दूसरे के साथ शांति कायम करने का उम्मीद करते है
शांति कि घंटी
हर साल विश्व शांति दिवस कि शुरुआत UNO के मुख्यालय न्यूयार्क में घंटी बजाकर किया जाता है जिसे शांति का घंटी कहा जाता है |
इस घंटी कि विशेषता यह है कि इसे अफ्रीका को छोड़ कर विश्व के सभी महाद्वीपों के बच्चों द्वारा दान किये गए सिक्के से बनाया गया है जिसे जापान के यूनाइटेड नेशनल एसोसिएशन ने उपहार किया था |
यह घंटी युद्ध में मानव के महत्त्व की याद दिलाती है | इसके एक ओर अंकित है ” विश्व में शांति हमेशा बनी रहे “
विश्व शांति दिवस 2020 का थीम
इस साल international day of Peace 2020 का थीम ” Shaping Peace Together ” राखी गयी है | जबकि पिछले साल का थीम ” Climate Action for Peace ” था |
इस साल पूरा दुनियाँ एक साथ मुश्किलों का सामना कर रहा है , विश्व के 192 में से 180 से ज्यादा देश कोरोना से जंग लड़ रहे है | इसके साथ और भी अनेकों तरह की परेशानी है |
एक-देश का दूसरे देश के साथ तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है , भारत-चीन के बीच 3 महीने से तनाव चल रहा है , भारत -पाकिस्तना , अमेरिका -चीन , चीन vs पूरा दुनियाँ होगया है | कुछ देश अपने अंधरुनि तनाव से परेशान है | कहने का मतलब पूरा दुनियाँ में हल -चल मचा हुआ है |
आतंरिक और बाहरी अशांति ने पूरा दुनियाँ में बहुत अलग तरीके से तबाही मचाया है | अमेरिका , UK कि घटना आप हर दिन न्यूज़ में पढ़ ही रहे है, मानसिक विकीर्ति अपने चरम पर है , लोग आत्महत्या कर रहे है , गोलीबारी कर रहे है | सारा दुनियाँ परेशान है |
निष्कर्ष
ऐसे माहौल में ये लाइन बहुत उपयुक्त मालूम पड़ता है ” shaping peace Together “. पूरी दुनियाँ को एक साथ आने कि जरुरत है | सभी को एक -दूसरे के लिए खड़ा होने कि जरुरत है |
मानव को अपने अंदर की शांति को बहार निकलने की जरुरत है | आज हर एक इंसान बेचैन प्रतीत होता है , मानसिक शांति जैसे गायब हो गया है |
हर सभी को एक -दूसरे का हाथ पकड़ने कि जरुरत है | चाहे आप एक अकेले इंसान के रूप में हो, या समाज के रूप में , या देश के रूप में या मानवता के रूप में ही क्यूँ ना हो |
आप जँहा भी है जिस रूप में है आपको एक -दूसरे का सहारा बनाने का जरुरत है | तभी पूरा दुनियाँ या मानवता फिर से खड़ा हो सकता है |
हम सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि समस्त विश्व के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास रखते हैं.
लाल बहादुर शास्त्री
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जय हिन्द
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मानव जाति के सौहार्द को बनाए रखने हेतु ऐसे विचार आवश्यक है।
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आगामी भविष्य के लिए असीम मंगलकामनाएं।
धन्यवाद