रतन टाटा के जीवन के रोचक जानकारी

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रतन टाटा

Ratan Tata’s lesser known facts: रतन टाटा एक उद्योगपति होने के अलावा, एक प्रसिद्ध परोपकारी व्यक्ति भी हैं। 82 वर्षीय रतन टाटा वर्तमान में देश के अपने हालिया योगदान से दिल जीत रहे हैं। टाटा ग्रुप -टाटा ट्रस्ट और टाटा संस कोरोनोवायरस के खिलाफ लड़ाई में शामिल हो गए हैं और वे मिलकर कोरोनावायरस राहत कोष की ओर 1,500 करोड़ रुपये का योगदान किए। पिछले हफ्ते, उद्योगपति ने अपने सोशल मीडिया पर निम्नलिखित साझा किया। उन्होंने लिखा, “COVID 19 संकट सबसे कठिन चुनौतियों में से एक है जिसे हम एक दौड़ के रूप में सामना करेंगे। टाटा ट्रस्ट्स और टाटा ग्रुप की कंपनियों ने देश की जरूरतों को पूरा किया है। इस समय, हमें किसी भी अन्य समय से अधिक ज्यादा जरूरत है।” जैसा कि उद्योगपति देश को बेहतर बनाने के तरीके का नेतृत्व करना जारी रखते हैं, यहां उनके बारे में कुछ अज्ञात तथ्य हैं जो निश्चित रूप से आपको आश्चर्यचकित करेंगे।

एक नज़र जरूर डालें।

1. रतन टाटा एक शर्मीले व्यक्ति हैं, समाज की झूठी चमक दमक में विश्वास नहीं करते हैं ,रतन टाटा जो की भारत के एक बेहतरीन बिज़नेस  मन और बहुत ही नम्र स्वाभाव के व्यक्ति है.1991 में उन्होंने टाटा समूह का प्रभार संभाला और फिर देखते ही देखते उन्होंने इसे दुनिया के सबसे बड़े समूह में बदल दिया.

2.रतन टाटा  नवल टाटा के बेटे हैं जिन्हें नवजबाई टाटा ने गोद लिया था. रतन टाटा  के माता-पिता 1948 में एक दूसरे से अलग हो गए थे, तब रतन टाटा  10 और उनके छोटे जिम्मी 7 साल के थे. तब जमशेदजी टाटा के बेटे रतनजी टाटा की पत्नी नवाजबाई ने इन्हें गोद ले लिया था और पालन-पोषण किया, जिन्हें रतन टाटा अपनी दादी मानते हैं.

3.  1961 में रतन टाटा को सॉफ्टवेयर कंपनी IBM से जॉब के लिए ऑफर भी मिला था,लेकिन उन्होंने उसे ठुकराते हुए,फॅमिली बिज़नेस को जॉइंट करना उचित समजा.और फिर तभी से वो  टाटा स्टील में एक वर्कर के रूप में काम करने लगे.और टाटा स्टील में वो ब्लास्ट फर्नेस को हैंडल करने का काम करते थे.

4. -रतन टाटा  ने टाटा ग्रुप के साथ अपने कॅरियर की शुरुआत 1961 में एक सामान्य कर्मचारी के रूप में शुरू की थी. काफी समय बाद वह संकट में घिरी राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (नेल्को) में प्रभारी निदेशक बने, जिसको बाद में उन्‍होंने सफल कंपनी बना दिया. इस सफलता के बाद उन्‍हें 1981 में टाटा इंडस्ट्रीज का अध्यक्ष बनाया गया और बाद में 1991 में जेआरडी टाटा ने टाटा ग्रुप का जब अध्यक्ष पद को छोड़ तो वह रतन टाटा (Ratan Tata) को मिला. इस पद से भी रतन टाटा खुद ही 28 दिसंबर 2012 को रिटायर हुए. रतन टाटा के कार्यकाल टाटा ग्रुप की वैल्यू 50 गुने से ज्‍यादा बढ़ी.

5.  रतन टाटा जी टाटा Company का 65 % पैसा दान कर दिया था , और अगर वह दान नहीं करते तो आज वह दुनिया के तीसरे सबसे अमीर आदमी होते

6.  रतन टाटा एक ट्रेनेड पायलट भी है,February 2006 को वो पहले ऐसे भारतीय व्यक्ति बने,जिसने F -16 नाम का फाइटर प्लेन उड़ाया.

 7. रतन टाटा अपने निजी जीवन मैं कारों का संग्रह रखते हैं और वह कर को खुद चलाने का शौक रखते हैं उनकी पसंदिता कार जैगवार मर्सिडीज Sl510 आदि कार है

भारत के जेम्स बॉन्ड अजित डोवाल

8.  टाटा कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों को रतन टाटा जी बहुत प्यार करते हैं और उनको बहुत अच्छे ऑफर्स फेस्लिटीज़ देते है इसीलिए टाटा कंपनी में नौकरी करना सरकारी नौकरी से कम नहीं है

9.  टाटा ग्रुप के अंडर 100 कंपनी आती है. टाटा की चाय से लेकर 5 स्टार होटल तक, सूई से लेकर स्टील तक, लखटकिया नैनों कार से लेकर हवाई जहाज तक टाटा कंपनी में आता है

10. ये  कहानी सन 1999 की है  जब टाटा का ब्रांड नई इंडिका का लॉन्च हुआ एक साल भी नहीं हुआ था  तब रतन टाटा  फोर्ड के मुख्‍यालय डेट्रॉयट  गए थे. इस मुलाकात में रतन टाटा अपनी तरफ से टाटा मोटर्स को बेचना चाहते थे. लेकिन इस दौरान फोर्ड मोटर्स के बिल फोर्ड ने बहुत अकड़ से बोला हम तुम पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं जो  तुम्हारा ये टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल खरीद रहे हैं. उन्‍होंने रतन टाटा से कहा कि जब गाड़ी बनानी नही आती तो धंधे में आए क्यों था .” यह बात रतन टाटा को बहुत चुभ गई और उन्‍होंने टाटा मोटर्स को बेचने का खयाल छोड़ दिया और वापस मुंबई आ गए. इसके बाद उन्‍होंने कड़ी मेहनत से टाटा मोटर्स को दुनिया की बड़ी कंपनी बना दिया.

 इस बीच 2009 में बिल फोर्ड की कंपनी घाटे में आ गई और दिवालिया होने के कगार पर पहुँच गई. इस दौरान टाटा ग्रुप ने उनकी कंपनी के खरीदने का एक प्रस्‍ताव दिया. तब फोर्ड की पूरी टीम मुंबई आए और विल फोर्ड बोला ” आप जैगुआर’ और ‘लैंड रोवर’ खरीदकर मुझ पर  बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं.” और रतन टाटा विनम्रता से वह डील 9600 करोड़ रुपया में फाइनल कर दिया |

11.  26 नवंबर 2008 को मुंबई के ताज होटल पर आतंकवादियों का जो हमला हुआ था और  उस हमले में होटल में जितने भी लोग घायल और होटल के आसपास जितनी भी हानि पहुंची और लोगों का नुकसान हुआ उन सबकी को मुआवजा रतन टाटा  ने की थी और होटल को दुबारा से शुरू किया था |

12. टाटा ग्रुप की 85 देशों में 100 से ज्यादा कंपनियां हैं. टाटा का 70 फीसदी बिजनेस विदेश से आता है.

13. अपने कारोबारी जीवन में कई बार ऐसे मौके आए जब विरोधियों ने उनका जमकर विरोध किया. लेकिन Ratan Tata कभी विरोधियों पर हमलावर नहीं हुए. उनका मानना है कि अगर गलत नहीं किया है तो एक न एक दिन वह अपने आप ही सही साबित हो जाएंगे.

14. सफलता के मामले में Ratan Tata का अलग राय है वे कहते है ” आवश्यक नहीं है की जिस रस्ते पर चल कर किसी सफल व्यक्ति ने समस्याओं का हल निकला है , उसी रास्ते पर चलकर दूसरे व्यक्ति की समस्या भी हल हो जय | इसलिए प्रत्येक प्रतिभाशाली व्यक्ति अपने ढंग से सोचता है और अपने लिए रास्ता बनता है|

15. Ratan Tata को उनके परोपकार के लिए विश्व प्रसद्धि पुरुस्कार कारनेगी से सम्मानित किया गया है |  

16.मुंबई हमले में मारे गए लोगों के परिजनों को आर्थिक सहायता के लिए होटल ताज में एक फण्ड की स्थापना की गयी थी , जिसका लक्ष्य हमले का शिकार हो चुके मृतकों के परिजनों को , सुरक्षा बालों के जवानों ,ताज के कर्मचारियों तथा अन्य पीड़ित शहरी लोगों को शीघ्र से शीघ्र मदद पहुंचाया गया था |

उम्मीद है आपने रतन जी टाटा के बाड़े में कुछ नया जानने को मिला होगा | यदि आपको पोस्ट अच्छा लगा तो अपना विचार हमारे साथ शेयर करें तथा दूसरों के साथ भी शेयर करें |
जय हिन्द

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3 Comments

  1. रतन टाटा के बारे में बहुत ही प्रशंसनीय जानकारी दी है आपने इस लेख में।
    हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

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