जाने बथुआ के उपयोग फायदे नुकसान और नामांकरण

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बथुआ के उपयोग फायदे

हमें याद आता है वो दिन जब हम बचपन में अपने चने के खेत या फिर सरसों के खेत में या फिर गेंहूँ के खेत …..  अदि में , एक घास के प्रकार का पौधा को उखाड़ने जाते थे | ये पौधा खेतों में खुद व खुद उग जाता था , वो पौधा कभी कभी तो हमारे रेगुलर फसल से भी ज्यादा लम्बा हो जाता था | हमें इसे उखाड़ कर अच्छी तरह से रखते थे और इसको घर ले जाते थे | हमारी माँ  इसे अच्छी तरह से काट कर एक प्रकार का कड़ी (जिसे हम घरेलु भाषा में झोड़ कहते है ) बनती थी | वो खाने में इतना स्वादिष्ट लगता था कि नाम लेकर मुँह में पानी आ जाता है | जिन्होंने इसका स्वाद चखा है या ये काम किया उनको तो उस पौधे का नाम याद आ भी गया होगा | इस पौधे का नाम है “बथुआ” | ये बहुत ही फायदेमंद साग है लेकिन इसे इसके अलाव भी कई और तरीके से इसका उपयोग किया जाता है |

तो आज का मेरा पोस्ट बथुआ के ऊपर है | इस पोस्ट में आप जानेगें बथुआ क्या है , इसका उपयोग , इसके फायदे और नुकसान साथ में देश के दूसरे प्रदेश या भाषा में इसे क्या कहा जाता है |

बथुआ क्या होता है

बथुआ एक महत्त्वपूर्ण तथा स्वास्थ्यवर्धक शाक है, ये रबी के फसल के साथ खुद व् खुद पैदा हो जाता है | कभी कभी ये इतनी मात्रा में होता है कि रेगुलर फसल से ज्याद हो जाता है वैसे में खेत में किसान इसे निकल कर खेत को साफ करता है | इसे आप एक तरह का घास कह सकते है | जो बिना बुलाये मेहमान की तरह खेत में उग जाता है | इसका पौधा आपको थोड़ा दिखने में नीम के पत्ते की तरह दिखता है | इसके पौधे के पत्ते  शीतादरोधी तथा पूयरोधी (Antidiuretic) होते हैं

बथुआ का नामांकरण

बथुआ का वानस्पतिक नाम Chenopodium album Linn. (कीनोपोडियम् एल्बम्) Syn-Atriplex alba (Linn.) Crantz, है और यह कीनोपोडिएसी (Chenopodiaceae) प्रजाति से है। देश भर में बथुआ को अलग -अलग नाम से जाना जाता है | किस भाषा में किस नाम से जाना जाता है वो निचे के लिष्ट से देख सकते है :

हिंदी – बथुआ, बथुया, चिल्लीशाक, बथुआ साग

अँग्रेज़ी  – आलगुड (Allgood), बेकॉन वीड (Bacon weed), फ्रोंस्ट-बाइट (Frost-bite), वाइल्ड स्पिनिच (Wild spinach), वाइल्ड गूज फुट (Wild goose foot), लैम्ब्स क्वार्टर (Lamb’s Quarters)

संस्कृत  – वास्तूक , क्षारपत्र, चक्रवर्ति, चिल्लिका, क्षारदला, शाकराट्, यवशाक

ओड़िया – बथुआ (Bathua)

कोंकणी – चकविट (Chakvit)

कन्नड़  – विलिय चिल्लीके (Viliye chillikae), चक्रवत्ति (Chakravatti)

गुजराती  – टांको (Tanko), बथर्वो (Batharvo)

तमिल  – परुपकिराई (Parupkkirai)

तेलुगु  – पप्पुकुरा (Pappukura)

बंगाली – बेतुया (Betuya), चंदन बेथू (Chandan betu)

नेपाली  – बथु (Bathu)

पंजाबी – बाथु (Bathu), लुनाक (Lunak)

मराठी  – चाकवत (Chakavata), चकवत (Chakvat)

मलयालम  – वस्तुक्कीरा (Vastuccira)

अरबी  – रोक् बतुल बजामेल (Rok batul bajamel)

पर्शियन  – कताफ (Qataf), कुलफ (Kulf), खुरफा (Khurfa), खुरुअलसाफिर (Khuruelasafir)

बथुआ के उपयोग

बथुआ को मुख्य रूप से उपयोग खाने के रूप में किया जाता है | बथुआ का झोड़ (एक प्रकार का कड़ी बनता है ) इसमें मसाले का बहुत ही कम प्रयोग होता है या न के बराबर होता है लेकिन स्वाद बहुत ही लजीज होता है |  इसके अलाव इसका प्रयोग रायता बनाने में भी होता है | इसका बीड़ी (एक प्रकार का व्यंजन है ) बनाया जाता है | और भी अलग अलग भू भाग में इसे अलग तरीके से उपयोग किया जाता है |

इसके आलावा इसका major प्रयोग आयुर्वेद के क्षेत्र में किया जाता है | बथुआ को आप विटामिन, प्रोटीन , खनिज लवण का खान कह सकते है | इसमें बहुत अधिक मात्रा में मिनिरल्स पाया जाता है |

इसके आलावा कुछ क्षेत्र में इसके बीज को संग्रहित करके इसका खेती भी किया जाता है |

बथुआ खाने का फायदा

बथुआ खाने के फायदे तो है लेकिन क्या क्या फायदा है आज आप वो भी जानेगें | बथुआ हमारे शरीर के लिए किसी औषधि से कम नहीं है | आइए अब जानते हैं कि बथुआ के औषधीय प्रयोग,

1. पेट के लिए

बथुआ के पत्ते में केरिडोल नामक एक तत्व होता है, जिसका प्रयोग आंतों के कीड़े एवं केंचुए को खत्म करने के लिए भी किया जाता है। बथुआ में फाइबर बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है , फइबर हमारे पेट के बहुत ही जरुरी पोषक तत्व है | जिसके कारण यह मोटापा , कब्ज , पाचन से सम्बंधित समस्या , पेट फूलना जैसे बहुत सारे परेशानी का सम्पूर्ण हल है | इसके नियमित प्रयोग बबासीर में भी बहुत लाभदायक है |

2. दाँतो के लिए

 खासकर दांतों के दर्द से राहत पाने के लिए बथुए का सेवन अच्छा माना जाता है। इसके, बीज़ों का पाउडर दंतमंजन की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है। जब, दांतों में दर्द या मसूड़ों में सूजन हो तो यह नुस्खा आज़माया जा सकता है। इसी तरह बथुआ के पत्तों को पानी के साथ उबाल कर इससे गरारे करने से भी आराम मिलता है।

इसके पत्ते को ऐसे चबाने भर से भी दर्द से राहत मिलता है |

3. बालों के लिए

बथुआ में विटामिन A, D के साथ आयरन और फास्फोरस भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है , इस गुण के कारण ऐसा बताया जाता ये बालों के लिए आवँला से भी ज्यादा फायदेमंद है |

4. चर्म रोग में

बथुए को उबालकर इसका रस पीने और सब्जी बनाकर खाने से चर्म रोग जैसे सफेद दाग, फोड़े-फुंसी, खुजली में भी आराम मिलता है। इसके अलावा बथुए के पत्तों को पीसकर इसका रस निकालें। अब 2 कप रस में आधा कप तिल का तेल मिलाएं और इसे धीमी आंच पर पकाएं। पानी सूखने के बाद इसके पेस्ट को उस स्थान पर लगाने से बहुत फायदा होता है |

5. खून के लिए

बथुआ में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है ,इसके नियमित उपयोग से शरीर में खून की कमी को भी पूरा करता है | इसके साथ बथुए को 4-5 नीम की पत्तियों के रस के साथ खाया जाए तो खून अंदर से शुद्ध हो जाता है। साथ ही ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक रहता है।

6. पीलिया (जॉन्डिस ) में

बथुआ का उपयोग नियमित रूप से करने से पीलिया का असर धीरे -धीरे कम होने लगता है | यदि बथुआ और गिलोय के कॉम्बिनेशन के जूस बना कर नियमित रूप से उपयोग करे तो पीलिया में बहुत फायदेमंद होता है |

7. पेशाब (मूत्र संक्रमण ) में

मूत्र संक्रमण को ठीक करने के लिए बथुआ के पत्ते का रस (5 मिली) निकाल लें। इसमें मिश्री मिलाकर पिलाने से मूत्र विकार खत्म होते हैं। 

8. जल जाने पर

आग से कोई अंग जल गया है तो बथुआ के पत्ते के रस को जले हुए स्थान पर लगाएं। इससे बहुत ही ज्यादा आराम और लाभ होता है |

9. आँख के रोशनी के लिए

वैसे तो हर तरह के साग या हरी सब्जी आँख के लिए फायदेमंद होता है | बथुआ भी आँखो कि रोशनी के लिए अच्छा है |

10. गुर्दे की पथरी में

बथुआ के सेवन से गुर्दे में पथरी की समस्या में काफी फायदेमंद होता है | बथुआ को शकर के साथ उपयोग करने पर ये पथरी को थोड़ -थोड़ कर धीरे -धीरे बहार निकलता है |

बथुआ के नुकसान

वैसे अजा के समय में बथुआ मिलता ही नहीं वैसे में इसका नुकसान जानना और भी नुकसानदेह है | लेकिन वर्त्तमान स्तिथि और परिस्तिथि को देखते हुए , ये जरुरी है की लोग हर तरह के बातों से वाकिफ रहे | इसलिए मैं बथुआ के जो थोड़ा बहुत नुकसान है उसे साझा कर रहा हूँ | जो निम्न है : –

1. बथुआ में ओक्सिजेलिक एसिड अधिक मात्रा में पाया जाता है , जिसके कारण इसके अधिक मात्रा में सेवन से डायरिया होने के खतरा हो सकता है |

2. आयुर्वेद के अनुसार गर्भवती महिला को बथुआ खाने का सलाह नहीं दिया जाता है , इससे गर्भपात होने का खातर रहता है |

निष्कर्ष :

वैसे लोग घर में बथुआ का उपयोग कम ही करते है | इसलिए ये निष्कर्ष निकाल सकते है कि जब भी मौका मिले बथुआ खाने से मत चुके | ये आपके स्वस्थ के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है | इसके सिर्फ फायदे है और हर तरह के पोषक तत्व से भरा है |

आशा करता हूँ ये पोस्ट आपको अच्छा लगा होगा , यदि पोस्ट पसंद आया है तो इसको अपने प्रियजनों के साथ साझा करें और अपने विचार कमेंट करके बता सकते है | और पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद

जय हिन्द

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