आधुनिक हिंदी कवि सम्मलेन के जनक : कुमार विश्वास जी का जीवन परिचय

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कोई दीवाना कहता है , कोई पागल समझता है,

मगर धरती की बेचैनी तो बस बादल समझता है|

 मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझ से दूर कैसी है,

ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल समझता है | 

: कवि कुमार विश्वास

ये लाइन है कवि डॉ कुमार विश्वास का, जिस हिंदी और हिंदी कवि को भारत में भी सुनने से कतराते थे, उसको उन्होंने गूगल के ऑफिस कैलिफोर्निया से लेकर ऑस्ट्रेलिआ के संसद तक , विश्व के अलग अलग देश तक पहुँचाया | कुमार विश्वास ने आधुनिक कवि सम्मेलन को next level पर पहुंचाया है, आज से पहले जँहा कवि सम्मेलन में हज़ारों का भीड़ आता था , अब वो भीड़ लाखों में बदल गया है | इसका बहुत बड़ा श्रेय डॉ साहब को जाता है | जो अपने अवाज़ा से पुरे माहौल को बदल देते है |   जिनके सिर्फ twitter पर 8.3 मिलियन से ज्यादा फैन फॉलोवर्स है |यदि सारे सोशल मीडिया को मिला दूँ तो उनका फैन फोल्लोवेर्स 14.00 मिलियन से ज्यादा है | | कुमार विश्वास राजनीती में भी गए लेकिन उसके बाद भी उनके फैन फोलोविंग में कभी कमी नहीं आया था | आज-कल वो फिर से पूरी तरह से कवि सम्मलेन के लिए समर्पित है |

तो आज का मेरा पोस्ट डॉ कुमार विश्वास के जीवन पर आधारित है | और जानेंगे डॉ साहब के मुश्किल यात्रा, आखिर उन्होंने कवि बनान क्यूँ स्वीकारा , इसके लिए उनको कितने तकलीफें झेलनी पड़ी |और एक धूल फाँकती हिंदी कवि सम्मलेन को कैसे आसमाँ के बुलंदिओ तक पहुँचाया |

प्रारंभिक जीवन

डॉ कुमार विश्वास का असली नाम विश्वास कुमार शर्मा है , उनका जन्म 10 फरवरी 1970 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के पिलखुवा गांव में हुआ था | उनके पिता का नाम डॉ चंद्रपाल शर्मा है और माता का नाम श्री मति राम शर्मा | उनके पिता आरएसएस डिग्री कॉलेज,पिलखुवा में एक प्रोफेसर के रूप में कार्य करते थे | जबकि उनकी माता गृहणी है |

कुमार विश्वास ने अपने स्कूल की पढ़ाई लाला गंगा सहाय स्कूल, पिलखुवा से की थी और इसके बाद राजपुताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट किया था |

उसके बाद कुमार भैया को कहा जाता है इंजीनियरिंग करने के लिए , इसके पीछे कारण था एक तो इनके पिता का यही इच्क्षा था दूसरा, अच्छा मैं ये बता दूँ की ये पांच भाई -बहन है , जिसमें विश्वास जी सबसे छोटे है | तो इसके बड़े सभी भाई इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नाम कर रहे थे तो जाहिर सी बात है | उनको भी इंजीनियरिंग की तरफ ढकेला जा रहा था | और बाकायदा इनका नाम भी लिखवा दिया गया था लेकिन ये इनको भा नहीं रहा था | साहित्य इनको अपने ओर खींच रहा था | इनको बहस करना , कविओं को पढ़ना अच्छा लगता था | लेकिन इनका अपने पिता जी के सामने बोलने का तो दूर बात करने का भी हिम्मत नहीं होता है | क्यूँकि मास्टर साहब थे बहुत कड़क थे, बच्चे में कितनी बार पिटाई भी कर चुके थे |

एक दिन ऐसा आता कि कुमार विश्वास इंजीनियरिंग छोड़ने का फैसल कर ही लेते है और हिम्मत जुटाकर अपने पिता श्री को अपने विचार बता देते है | तो इनके पिता पूछते है करोगे क्या ?

कुमार विश्वास कहते है मैं हिंदी साहित्य से डिग्री करूँगा | उनके पिता कहते है जब तुमको अपनी मर्जी का करना है तो करो मैं एक भी पैसा नहीं दूँगा | कुमार विश्वास को अपने ऊपर विश्वास था | और आखिर कर वो इंजीनियरिंग करने का विचार त्याग करके , हिंदी में डिग्री करते है और बाद में “कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना” विषय पर पीएचडी भी करते है | इसके लिए उनको बहुत ताने सुनने पड़ता था , बहुत मुश्किलों का सामना किया लेकिन डॉ साहब अडिग रहे |

प्यार और शादी

कुमार विश्वास के प्यार और दिवानापन को देखकर मुझे रॉकस्टार फिल्म के रणबीर कपूर याद आता है | उस मूवी में रणवीर कपूर कोई सिंगर नहीं रहता है लेकिन दिल टूटने के करना वो सिंगर बन जाता है | कुछ ऐसा ही कुमार विश्वास के साथ भी हुआ , उनके जो सबसे फेमस लाइन है ” कोई दिवाना कहता है कोई पागल समझता है ”  ये लाइन कुमार विश्वास के टूटे दिल का दर्द है |

ये लाइन कुमार भैया के प्रेमिका के लिए था | किन्तु वो नहीं मिली परन्तु पूरी दुनियाँ को एक अल्हड़ कवी कुमार विश्वास के रूप में भेंट दे दी | कुमार विश्वास बहुत विश्वासी या खुले विचार के इंसान है , जो दूसरों के दर्द को भी समझते है इसीलिए कभी अपने निजी जीवन को या अपने उस कॉलेज कि यादों को भी दिल खोलकर साझा करने से झिझकते नहीं है |

बाद में कुमार को अपनी पत्नी मंजू शर्मा से प्यार होता है , वो कुमार को बहुत पसंद आने लगती है | और दोनों शादी करना भी चाहते है | लेकिन आपको बता दूँ कुमार विश्वास ब्राह्मण है और उनकी पत्नी दूसरी जात से थी | तो कुमार के घर वाले इसके लिए तैयार नहीं होते है | कुमार अपने घर वाले को समझने का भी प्रयास करते है , कुमार यँहा तक कहते है की उसके संस्कार ब्राह्मण का है वो दुसरो कि मदद करती है | कोई जन्म से नहीं कर्म से ब्राह्मण होता है | लेकिन उनके घरवाले इस रिश्ते को स्वीकार नहीं करते है | और कुमार को घर छोड़कर जाना पड़ता है लेकिन शादी मंजू शर्मा से ही करते है |

कुमार ऐसा बताते है कि घर छूटने के बाद वो बहुत रोते थे | लेकिन अंत में कुछ समय बाद घरवाले भी इस रिश्ते को स्वीकार कर लेते है | अभी कुमार विश्वास को एक बेटी भी है जिसका नाम अग्रता विश्वास है |

राजनीतिक सफर

कुमार विश्वास का राजीतिक सफर शुरू होता है रामलीला मैदना में अन्ना हज़ारे के आंदोलन ” इंडिया अंगेंस्ट करप्शन ” से जँहा कुमार विश्वास ने अन्ना हज़ारे का पूरा साथ दिया था और उस माहौल को जोश से भर दिया था | कुमार विश्वास का आवाज तो मनो जादू करता है और वो काम उन्होंने उस रैली में भी किया था | हालाँकि बाद में अरविन्द केजरीवाल , कुमार विश्वास , योगेंद्र यादव और वर्तामन आम आदमी पार्टी के बड़े नेता ने मिलकर आम आदमी पार्टी बनाया | जिसको उस आंदोलन का पूरा फायदा हुआ और वो पार्टी दिल्ली के राजगद्दी पर असिन हो गया |

आम आदमी में कुमार विश्वास को पूरा भारत के साथ विश्व में प्रसिद्धि दिलवाई , जिसके बाद उनके विचार अक्सर विरोधियों कि रातों की नींद उड़ाते रहता था | और वो लगातार फेमस होते चले गए | लेकिन उन्होंने आम आदमी पार्टी में एक कार्यकर्त्ता के हैसियत से कम करते रहे , कभी कोई पद नहीं लिया | 2014 में उन्होंने जरूर अमेठी से राहुल गाँधी और स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव लड़ा , हालाँकि वो बुरी तरह से हार जाते है | इसके बाद उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़े | और 2018 में उन्हें आम आदमी पार्टी से बहार निकाल दिया जाता है | लेकिन आपको बता दूँ कि कुमार विश्वास आज भी आम आदमी के प्राथमिक सदस्य है | लेकिन इसके बाद उन्होंने अभीतक किसी पार्टी को ज्वाइन नहीं किया है और न ही सक्रिय राजनीती में है |

हाँ वो टविटर पर अक्सर नेताओं की खिचाई करते रहते है |और राजनीतिक मुद्दे पर काफी वोकल रहते है

कवि कुमार विश्वास

वो बोले दरबार सजाओ , वे बोले जयकार लगाओ,

वो बोले हम जितना बोले तुम केवल उतना दोहराओ |

वाणी पर इतना अंकुश कैसे सहते , हम कबीर के वंसज चुप कैसे रहते

हम दिनकर के वंसज चुप कैसे रहते |

कुमार विश्वास अपने नाम के साथ अपने सर नाम लगाना छोड़ दिए इसके पीछे कई कारण है लेकिन एक मूलभूत करना उनका कवी होना भी है | कुमार अपने आप को ब्राह्मण के बंसज से ज्यादा गर्व अपने आप को कबीर के वंसज , बाबा तुलसी के बंसज , रामधारी सिंह दिनकर के बंसज , नागार्जुन के बंसज के कहलवाना ज्यादा पसंद करते है | उनके सम्मेलन में आप उनके इस शब्द को आप अक्सर सुन सकते है और महसूस कर सकते है |

कुमार विश्वास से पहले मैंने किसी कवी को नहीं सुना या देखा था, सिर्फ किताबो में पढ़ा और देखा था | मुझे तो लगता था की कवी धीरे -धीरे विलुप्त होता हुआ प्राणी है | लेकिन कुमार विश्वास को देखने के बाद ऐसा लगता है | हाँ कवी ऐसा ही है , हाँ ये आदमी कबीर के बंसज का है |

कुमार विश्वास ने हिंदी कवी के स्वरुप को सिर्फ निखारा ही नहीं बल्कि उसको वो शोहरत भी दिलवाया है जिसके वो हक़दार है | कुमार विश्वास हिंदी कवी में सबसे अमीर कवि है | कुमार भैया का अपन स्टारडम है जो फ़िल्मी हीरो से कहीं ज्यादा है तो उसके पैसे भी उतना ही होना चाहिए |

कुमार विश्वास ने कवि के प्रोफेशन को वो चमक -धमक दिया है, जो आधुनिकता कि माँग है | जिसके कारण आज इस क्षेत्र और इससे समबन्धित क्षेत्र में रोजगार का सृजन हो रहा है | अब बड़े बड़े कॉलेज और यूनिवर्सिटी ऐसे कवि सम्मलेन में लाखों -करोड़ो खर्च कर रहे है | हिंदी कवी सम्मलेन एक नयी उच्चाई को छू रहा है | आज हिंदी कवि सम्मलेन भारत से बहार भी कई देश में हो रहा है | इसका बहुत बड़ा श्रेय श्री श्री कुमार विश्वास भैया को जाता है |

मोटिवेशनल speaker कुमार विश्वास

दुंद कहाँ तक टाला जाय , युद्ध कँहा तक पला जाय |

हम भी है राणा के बंसज , फेंक जँहा तक भला जाय |

Dr. कुमार भैया सिर्फ एक बेहतरीन कवि ही नहीं है बल्कि वो एक बेहतरीन मोटिवेशनल स्पीकर भी है | क्यूँकि हाल ही मैंने उसका वीडियो देखा वो एक बड़े कोचिंग सेंटर में UPSC में सिलेक्टेड हुए छात्र को दीक्षांत भाषण दे रहे थे | मुझे वो भाषण बहुत ही ज्यादा मोटीवेट किया और वो अपने वीडियो के माधयम से लोगो को अक्सर मोटीवेट करते रहते है |

कुमार विश्वास का आवाज और अंदाज़ ऐसा है कि आप उसको लगतार सुन सकते है और गरंटी है कि थकयेगा नहीं | वो हर मुद्दे पर बहुत बेवाक बोलते है | आप उनको एक मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में भी सुन सकते है |

कुमार विश्वास के अनमोल विचार

1. साध्य महत्वपूर्ण है , ना की साधन महत्वपूर्ण है।

2. जिसकी मस्ती जिन्दा है उसकी हस्ती जिन्दा है |

3. महत्वाकांक्षा अनंत रखना परंतु लालच शुन्य रखना।

4. युद्ध में इतिहास आपका आकलन इस बात से नहीं करता; आप जीते या हारे। इस बात से आकलन करता है कि आपने गोली पीठ पर खायी या छाती पर खायी।

5. आप स्वार्थी बनिए परंतु अपने लिए।

6. कच्चे लोग जीवन में बड़ी सफलता नहीं देते।

7. हमारा सारा discomfort हमारे खुद के साथ है।

8. मैं ये कहना चाहता हूं जो राष्ट्र अपने शिक्षक को सम्मान नहीं देता; इतिहास उसे स्थान नहीं देता, उसे गति नहीं देता…।

9. यदि अंधकार से लड़ने का संकल्प कोई कर लेता है; तो एक अकेला जुगनू भी अंधकार को हर लेता है।

10. आपके मां-बाप आपकी किसी प्रवृत्ति पर नाराज हो तो आप समझ लेना कि आप में कुछ अतिरिक्त है, जो हो रहा है, इसमें लज्जित मत होना।

Take away from life of कुमार विश्वास

अपने मन की सुने : ये बात बहुत जरुरी है कि आप अपने मन की सुनें, इससे सिर्फ आपका ही नहीं देश और दुनियाँ का भी भला हो जायेगा | जैसे कुमार विश्वास के जूनून ने कवि कुमार विश्वास के साथ हिंदी कवि सम्म्मेलन का भी भला किया | अकेले कुमार विश्वास ने पुरे हिंदी कवि के भाग्य को बदल दिया है | डॉ. कुमार विश्वास हिन्दी मंच के एकमात्र ऐसे कवि हैं, जिनकी कविता(बिना किसी वाद्ययंत्र के) आज भी लोग कॉलर ट्यून पर सेट करके रखते है.

आशा करता हूँ कि कुमार विश्वास कि ये जीवनी आपको मोटीवेट करने में कामयाब रहा होगा | यदि पोस्ट पसंद आया तो औरों के साथ साझा करें और यदि आपके मन किसी भी तरह का प्रसन या भावना है उसको कमेंट के माध्यम से बहार निकाल सकते है | पूरा पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद

जय हिन्द

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