डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से जुडी कुछ रोचक तत्व

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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से जुडी कुछ रोचक तत्व

शिक्षक दिवस के अवसर पर हम भारत के सबसे महान शिक्षक या यूँ कहे की 20 वीं शताब्दी के सबसे बड़े शिक्षक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को याद कर रहे है | वैसे तो राधाकृष्णन जी से पूरा भारत ही नहीं बल्कि विश्व परचित है | हमें आज भी याद हमें स्कूल में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का फोटा गाँधी जी के साथ हर स्कूल में मिल जाती थी |

डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1988 को आंध्र और तमिलनायडु के बोर्डेर पर स्तिथ छोटे से गांव तिरुट्टिनी के एक ब्राम्हण परिवार में होता है | उनका गांव एक धार्मिक स्थल के रूप में पूरा भारत में प्रशिद्ध है , उनका बचपन तिरूट्टिनी और तिरुपति जैसे धार्मिक स्थल में बिता |

भारत के पूर्व राष्ट्रपति, दार्शनिक और शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्‍मदिवस को पूरे देश में शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) के रूप में मनाया जाता है,शिक्षक दिवस के मौके पर आइए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक तथ्‍य

1. जब राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने तो दुनिया के महान दर्शनशास्त्रियों में से एक बर्टेंड रसेल ने काफी प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने कहा, ‘डॉ.राधाकृष्णन का भारत का राष्ट्रपति बनना दर्शनशास्त्र के लिए सम्मान की बात है और एक दर्शनशास्त्री होने के नाते मुझे काफी प्रसन्नता हो रही है। प्लेटो ने दार्शनिकों के राजा बनने की इच्छा जताई थी और यह भारत के लिए सम्मान की बात है कि वहां एक दार्शनिक को राष्ट्रपति बनाया गया है।’

2. राधाकृष्णन के सेंस ऑफ ह्यूमर का भी जवाब नहीं था। इसकी तारीफ सभी करते थे और उनका ह्यूमर अक्सर चर्चा का विषय बन जाता था। 1962 में ग्रीस के राजा ने जब भारत का राजनयिक दौरा किया तो सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने उनका स्वागत करते हुए कहा था- महाराज, आप ग्रीस के पहले राजा हैं, जो कि भारत में अतिथि की तरह आए हैं। सिकंदर तो यहां बगैर आमंत्रण का मेहमान बनकर आए थे।

3. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने घोषणा की कि सप्ताह में दो दिन कोई भी व्यक्ति उनसे बिना पूर्व अनुमति के मिल सकता है। इस तरह से उन्होंने राष्ट्रपति को आम लोगों के लिए भी खोल दिया था।

4. यही नहीं, वह अमेरिका के राष्ट्रपति भवन वाइट हाउस में हेलिकॉप्टर से अतिथि के रूप में पहुंचे थे। इससे पहले दुनिया का कोई भी व्यक्ति वाइट हाउस में हेलिकॉप्टर से नहीं पहुंचा था।

5. राधाकृष्णन के बारे में एक किस्सा है जो शायद ही लोग जानते होंगे। वह जब चीन के दौरे पर गए थे तो वहां वह मशहूर क्रांतिकारी, राजनैतिक विचारक और कम्युनिस्ट दल के नेता माओ से मिले। मिलने के बाद उन्होंने माओ के गाल थपथपा दिए। इससे माओ हतप्रभ रह गए। लेकिन राधाकृष्णन ने यह कहकर सभी का दिल जीत लिया कि वह उनसे पहले स्टालिन और पोप के साथ ऐसा कर चुके हैं।

6. वह बेहद साधारण और विनम्र स्वभाव के थे। भारत का राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने अपनी सैलरी से मात्र ढाई हजार रुपये लेते थे, जबकि बाकी सैलरी 7500 प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष को दान कर देते थे।

7. राधाकृष्णन अपने छात्रों के बीच बहुत लोकप्रिय थे। जब वह मैसूर यूनिवर्सिटी छोड़कर कलकत्ता यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए जाने लगे तो उनके छात्रों ने उनके लिए फूलों से सजी एक बग्धी का प्रबंध किया और उसे खुद खींचकर रेलवे स्टेशन तक ले गए।

8. उन्हें 1931 में नाइटकी उपाधि से सम्मानित किया गया था, और तब से स्वतंत्रता प्राप्ति तक उन्हें सर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के रूप में संबोधित किया गया था। लेकिन आजादी के बाद उन्हें डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के नाम से जाना जाने लगा। 1936 में, उन्हें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पूर्वी धर्मों और नैतिकता के स्पेलिंग प्रोफेसर के रूप में नामित किया गया था। साथ ही, ऑल सोल्स कॉलेज के फेलो के रूप में चुने गए

9. 1952 में, वे स्वतंत्र भारत के पहले उप-राष्ट्रपति बने और 1962 में, वे भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने।

10. उन्हें 1952 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 1954 में, उन्होंने जर्मन “ऑर्डर पी ले मेरिट फॉर आर्ट्स एंड साइंस” और 1961 में जर्मन बुक ट्रेड का शांति पुरस्कार प्राप्त किया। 1963 में, उन्हें ऑर्डर ऑफ मेरिट भी मिला और 1975 में, “भगवान की एक सार्वभौमिक वास्तविकता जो सभी लोगों के लिए प्यार और ज्ञान को गले लगाती है” की धारणा को बढ़ावा देने के लिए टेम्पलटन पुरस्कार। और आश्चर्यजनक यह है कि उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को पूरी पुरस्कार राशि दान कर दी थी।

11. 1931-1936 तक, वह आंध्र विश्वविद्यालय में कुलपति थे और 1939-1948 तक, वे बनारस विश्वविद्यालय में कुलपति थे। और दिल्ली विश्वविद्यालय में, वह 1953-1962 तक कुलपति थे।

12. आपको बता दें कि डॉ। राधाकृष्णन की याद में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने राधाकृष्णन शेवनिंग स्कॉलरशिप और राधाकृष्णन मेमोरियल अवार्ड की शुरुआत की थी।

13. उन्होंने हेल्पेज इंडिया की स्थापना की थी जो बुजुर्ग वंचित लोगों के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन है।

14. उनके द्वारा अनेक पुस्तकों की रचना की गई, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं: द एथिक्स ऑफ़ वेदांत (The Ethics of the Vedanta), माई सर्च फॉर ट्रुथ (My Search for Truth), रिलीजन एंड सोसाइटी (Religion and Society), इंडियन फिलासफी (Indian philosophy) आदि।

15. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन 27 बार नोबल पुरुस्कार के लिए नोमिनित हुये थे , 16 बार साहित्य के क्षेत्र में और 11 बार नोबेल शांति पुरुस्कार के लिए ,हालाँकि उनको नोबल पुरुस्कार कभी मिल नहीं पाया था | लेकिन उनके लेखन ने पूरी दुनियाँ में खलबली मचा रखा था |

16.  डॉ. राधाकृष्णन ने संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और 1948 में यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष चुने गए.

17. डॉ राधाकृष्णन हिन्दू धर्म में बहुत ही ज्यादा विश्वास रखते थे और स्वामी विवेकानद को अपना गुरु मानते थे |

18. शिक्षक दिवस की शुरुआत 1962 मे जब वो भारत के राष्ट्रपति के रूप मे चुने गए तो उनके कुछ शिष्यों ने उनका जन्म दिन मनाने के लिए कहा। इस पर उन्होंने जबाव दिया मेरे जन्म दिन के स्थान पर यह दिन शिक्षक दिवस के रूप मे मनाया जाए। जिसके बाद से हर साल पांच सितंबर को डा. सर्वपल्ली राधा कृष्ण्ान का जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप मे मनाया जाता है।

आशा करता हूँ ये पोस्ट आपके ज्ञान को बढ़ाने में मदद किया होगा | यदि पोस्ट अच्छा लगा तो दूसरों के साथ भी साझा करें |

जय हिन्द

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10 Comments

  1. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय मेधा के परिचायक व्यक्तित्व थे। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में बहुत ही प्रशंसनीय लेख लिखा है आपने मान्यवर।
    शिक्षक दिवस का हार्दिक शुभकामनाएं।

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