यही तो प्यार है
एक बार की बात है दुनियाँ के महान दार्शनिक में से एक अरस्तु अपने कुटिया के बाहर अपने शिष्य को पढ़ा रहे थे | अरस्तु अपने शिष्य के साथ अपने कार्य में लीन थे, तभी अरस्तु की पत्नी किसी बात पर नाराज होकर अपने कुटिया से बहार अति है | और अरस्तु को भला बुरा बोलने लगती है | लेकिन अरस्तु अपने काम में मग्न उसकी बातों पर ध्यान नहीं देते है |
अरस्तु की पत्नी चिढ़ कर उनके ऊपर पानी डाल देती है लेकिन अरस्तु अभी भी शांत रहते है | उसके बाद उनकी पत्नी खिजकर पास पड़ी कीचड़ और मिटटी डाल देती है | अरस्तु अभी भी शांत थे | उनकी पत्नी परेशान होकर गली देती कुटिया के अंदर चली जाती है |
अरस्तु अभी भी अपने शिष्य को ज्ञान दे रहे थे | लेकिन शिष्य बेचैन हो रहे थे, ये जानने के लिए की ये क्या हो रहा था और उन्होंने रोका क्यूँ नहीं , फिर भी कोई शिष्य ये पूछने का हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे की कैसे पूछे और क्या पूछे |
तभी एक शिष्य खड़ा होता है और विनम्रता से पूछता है ” गुरुदेव आपकी पत्नी आपको भला बुरा बोली , आपके ऊपर पानी और कीचड़ डाली लेकिन आपने उनको ना कुछ बोला और ना ही ऐसा करने से रोका , आखिर ये क्या था ?
अरस्तु ” यही तो प्यार है “
शिष्य (चौंकते हुए ) : ” प्यार ” ये कैसा प्यार गुरुदेव ?
अरस्तु (मुस्कुराते हुए) : मैं अपनी पत्नी से प्यार करता हूँ , इसका मतलब ये तो नहीं की वो भी मुझे प्यार करे | मैं अपने पत्नी से ये वादा किया हूँ की मैं तुम्हें जीवन पर प्रेम करूँगा, और मैं कर रहा हूँ | किसी के प्यार के बदले में प्यार करना , प्यार नहीं कहलाता है प्यार तो एक तरफा होता है |
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निष्कर्ष
आज के परिपेक्ष में ये कथन बिल्कुल सत्य मालूम पड़ता है | प्रेम के बदले प्रेम तो जानवर भी देता है | इंसान एक बच्चे से भी शिकयात करता है की इस बच्चे को में बचपन में बहुत प्यार किया था लेकिन आज मुझ से कैसे बात कर रहा है | बच्चा अच्छा दिखता है तो कोई भी उसको प्रेम करता है लेकिन इसका ये अर्थ तो नहीं की वो बड़े होने पर आपको उसके बदले प्रेम दें | ये कहानी ये बताती है की आप खुल कर प्रेम करें लेकिन बदले में कुछ उम्मीद ना करें , यदि मिलता है तो अच्छा नहीं नहीं मिले तो भी कोई बात नहीं क्यूँ की प्यार एक तरफ़ा होता है |
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