आखिर बेजुबान जानवरों पर कब तक अत्याचार ?

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आखिर बेजुबान जानवरों
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                          अगर किसी देश की महानता का अंदाज़ा लगाना हो तो यह देखिए कि वहां के लोग जानवरों के साथ कैसा बर्ताव करते हैं?

                                                                                                                 महात्मा गांधी

केरल के मल्लपुरम में एक हथिनी ने जिस तरह से अपना प्राण त्याग , उसको देख कर मानवता काँप उठी | ऐसा लगा एक हथिनी एक मानव से ज्यादा सभ्य ,समझदार और सुशिल है | एक घायल हथिनी ने ना किसी को नुकसान पहुँचाया , ना शोर मचाई , उस हथिनी की खामोशी ने इतना शोर मचाया की पूरा भारत का ध्यान अपने ओर आकर्षित कर लिया |

इस गर्भवती हथिनी के व्यवहार ने हज़ारों -लाखों बेजुबान के आवाज़ का प्रतिनिधत्व किया है | जो ये सोचने पर मजबूर किया है की आखिर बेजुबान पर कब तक अत्याचार होगा |

हथिनी की मौत का बैकग्राउंड

केरल में कुछ इंसानों ने एक भूखी और गर्भवती हथिनी को जलते हुए पटाखों से भरा अनानास खिला दिया और उस हथिनी की तड़प-तड़प कर मृत्यु हो गई. हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि एक गर्भवती महिला या जीव को चोट पहुंचाना सबसे बड़ा पाप है, क्योंकि ऐसा करके आप ना सिर्फ एक मां को चोट पहुंचाते हैं बल्कि उसके अजन्मे बच्चे को भी क्षति पहुंचाते है. केरल में कुछ लोगों ने यह पाप किया और साबित कर दिया कि इंसान, इंसान की योनि में पैदा होकर भी जानवरों से से भी बदतर बर्ताव किया  हैं.

यदि आप अपने आस -पास देखते है तो हम जंगल , वन तथा पेड़ को काटते देखना आम बात पाते है और उस स्थान पर बड़ी -बड़ी बिल्डिंग , लम्बे -लम्बे सड़क का निर्माण होते पाते है | मानव ने संसाधन का इतना दुरूपयोग करना शुरू कर दिया है की आप बीच जंगल में भी लोगों को अपना फार्म हाउस का निर्माण करते पाते है |

केरल के मल्लापुर की घटना का भी यही बैकग्राउंड है | केरल में आमिर लोगों के कुछ ग्रुप ने जंगल के बीच अपने फार्म हॉउस का निर्मण करके जानवरों को आतंकित करने का काम किया , जिसके बाद कभी कभी जंगली सुगर उनके फार्म हाउस में घुस जाते है , कुछ नुकसान करते है | जिसके बाद इन्होंने वहाँ के सरकार के द्वारा जगली सुगर को मरने का आर्डर निकलवाया , और मारने वाले को पुरुस्कृत करने का भी घोषणा किया है | जिसके कारण वहाँ के लोगों ने सुगर को मारने के लिए  इस तरह के फ्रूट बम का निर्माण करते है | और अपने फार्म हाउस के आस पास रख देते है | जिसे खा कर कई जानवर का मौत हो  जाता है |

जिसका शिकार वो गर्भवती हथिनी भी हुई | भूखी हथिनी खाना की तलाश में गांव जाती है | जँहा लोगों के पास पहले से मौजूद अन्नानास बम का प्रयोग कर के उस बेचारी हथिनी को घायल कर दिया जाता है | और उसके बाद हथिनी के साथ जो हुआ वो पूरा भारत के सामने है |

मांसाहारी का कुतर्क

जानवर के ऊपर अत्याचार के मामले आये दिन पेपर की सुर्खियाँ में रहती है | मानव अपने निहित स्वार्थ के लिए जानवर का शोषण कर रहा है | पहले वन्य -जीव से उसका जंगल छिनता है | वन्य-जीव जब इसका विरोद्ध करता है तो उसको पागल आदम खोर बोल कर मारने का आर्डर निकलता है और फिर उसका निर्मम हत्या कर देता है |

मांसाहारी लोग अपने खाने के पीछे दलील देते है की यदि हम मांस नहीं खायेंगे तो प्राकृतिक का संतुलन बिगड़ जायेगा | इस धरती पर बकरी ही बकरी , मुर्गा ही मुर्गा हो जायेगा | जब सच्चाई इसके उल्टा है | मांसाहारी लोगों के कारण धरती का संतुलन बिगड़ रहा है | जिसका परिणाम है की भूख की तलाश में आये दिन शेर और बाघ शहर की तरफ कूच कर रहा है | और मानव को अपना भोजन बना रहा है | और तब मानव उसका विरोद्ध करता है |

आये दिन हम ये खबर सुनते रहते है की तेंदुआ शहर में घुस आया है | बाद में उसको मर दिया जाता है | क्यूँकि तेंदुआ आदमखोर होगया था | कोई इसके खिलाफ आवाज़ भी नहीं उठता है |

चिड़ियाघर

एक रिपोर्ट के अनुशार हर दिन धरती से 100 प्रजातियाँ खत्म हो रही है | या तो मानव उनके रहने के इलाके खत्म कर देता है या उनका शिकार तब तक करता है जब तक वह खत्म नहीं हो जाता है | आखिर यहीं कारण है की चिड़ियाघर या नेशनल पार्क का निर्माण करना पड़ा |

लेकिन चिड़ियाघर सभी जानवरों के लिए सही नहीं है क्यूँकि चिड़ियाघर में उसकी ग्रोथ की गति काफी कम हो जाती है | और उसके मानसिक संतुलन के लिए भी चिड़ियाघर सही नहीं है |

कानून (law )

हमारे देश में जानवरों को बचाने का जिक्र हामरे संविधान में भी है | भारत के सविंधान में जिन नागरिक कर्तव्यों का जिक्र है , उसमें सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया का भाव रखना है | अनुच्छेद 51 A (g) के तहत नागरिक कर्तव्य बताया गया है |

किसी जानवर को जान से मरना या अपंग कर देना एक दंडनीय अपराध है , ऐसे अपराध में IPC कि धारा 428 और 429 के अंतर्गत सजा का प्रावधान है |

केरल भारत का सबसे शिक्षित राज्य है लेकिन जानवरों के साथ अत्यचार के मामले में भी अव्वल है | ऐसी शिक्षा का क्या अर्थ है जो मानव को दानव बना दे | केरल में देश का सबसे शिक्षित समूह है शायद इसलिए उनके खाने के तरीका भी पूरा भारत से जुदा है |

हाथी तो वन्य जीव है, लेकिन गाय , भैंस , बकरी और मुर्गी के ऊपर तो यहाँ बात ही नहीं कर सकते है | क्यूँकि ये यहाँ के शिक्षित लोगों का पसंदीदा भोजन है | हाथी है इसलिए केरल सरकार भी एक्शन की बात कर रहा है |

प्रकिर्तिक के साथ छेड़-छाड़ का परिणाम लोग के सामने है | कोरोना अपने चरम सिमा पर है लेकिन मानव फिर अपनी गलती से सिखने को तैयार नहीं है | अब तो बस परमात्म से मानव की सत्बुद्धि की ही कामना कर सकते है | और मानव को अपने कर्मों के फल के लिए तैयार रहे | उस परमात्म के सहने की शक्ति अब खत्म हो चुकी है, कहर के लिए तैयार रहे | मैं अपने पोस्ट को कबीर के इस दोहे के साथ समाप्त करता हूँ |

                                   पीर सबन की एकसी , मुरख जाने नांहि

                                अपना गला कटाक्ष के , भिस्त बसै क्यूँ नांहि

संत कबीर कहते है की सभी जीवों की पीड़ा एक जैसी होती है पर मुर्ख लोग इसे नहीं समझते | ऐसे अज्ञानी और हिंसक लोग अपना गला काटकर स्वर्ग में क्यों नहीं बस जाते है |

जय हिन्द

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बीज-माता राही बाई पोपेरे

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3 Comments

  1. आपका विचार मानवीय गतिविधियों के कारण प्रकृति के बिगड़ते संतुलन को सही तरीके से बयां करता है।
    हालिया घटनाक्रम मानवता के निरंतर ह्रास का तस्दीक करता है।
    आशा है कि आप आगामी भविष्य में भी समसामयिक मुद्दों पर बेबाकी से लिखते रहेंगे।

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