दीपक हमें क्या कहता है?

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दीपक

मैं कुछ दिन से बहुत परेशान था , अपने अस्तित्व के बाड़े में लगातार सोच रहा था ,ऐसा सोच रहा था की हमारे अपनों के बीच में हमरा कुछ महत्त्व है की नहीं और यदि नहीं है तो फिर कैसा बनाया जाय |और मैं अपना प्रसन लेके सभी के पास गया  कभी पंखा से पूछा ,कभी लाइट  से , कभी दिवार से , कभी टेबल और कुर्सी से तो कभी मोबाइल और लैपटॉप से तभी ऐसा मेरा ध्यान पूजा के लिए जले दिपक ने अपने तरफ खींचा, और फिर मैंने खुद से पूछा ” दीपक हमें क्या कहता है ? और इस प्रसन का उत्तर दीपक ने दिया |

दीपक ने कहा अरे तुम परेशान क्यूँ होता है ?

जब तक जीवन में सब सही चल रहा होता है और चारों-ओर प्रकाश ही प्रकाश रहता है तब तक हमारी जरुरत नहीं होता है | हमरी जरुरत होने के लिए अंधेरा का होना ज़रूरी है | और जब जीवन में घनघोर अंधेरा छाता है तब हमारी जरुरत महसूस होता है | और तब जीवन में हमारे अस्तित्व का पता हमको भी चलता है और सामने वाले को भी , हाँ लेकिन मैं इतना भी निष्ठुर नहीं हूँ की किसी के जीवन में अँधेरा का कामना करुँ |

ताकि वो प्रकाश के लिए मेरे तरफ भागे | मैं ऐसा नहीं करता हूँ | मैं इन्तिज़ार करता हूँ किसी से शिकायत नहीं करता हूँ |

फिर मैंने दीपक पूछा लेकिन मुझे ये समझ नहीं आता है अंधेरा होने पर आदमी तुमको ही क्यूँ याद करता है ?

दीपक बोला भाई तुम बहुत भोले हो , क्युँकि मैं घर के किसी कोने में पड़े रहता है हूँ | मेरे रख-रखाव में कोई खर्च नहीं होता है , आदमी को जब जरुरत होता है मेरा उपयोग करता है और फिर वही कही कोने में फेंक देता है | हाँ जब भगवान के पास होता हूँ तो लोग थोड़ा इज़्ज़त करते है |

 प्रकाश आते ही ऐसे फेंकते है की जैसे जीवन में अब दुबारा कभी मेरा जरुरत नहीं है , आदमी ये भूल जाता है की जब अँधेरा छाता है तो सबसे पहले प्रकाश का किरण मुझसे ही मिलता है | लेकिन थोड़ा उजाला होते है हमरी इज़्ज़त करना भी भूल जाता है |

और अंत में दीपक ने बोला मैं भगवान को लाख -लाख धन्यवाद देता हूँ की कम से कम जरुरत पर तो लोग मुझे ढूंढ़ते है मेरा काम है प्रकाश फैलाना लोग के जीवन में जब जब घाना अँधेरा छाये गा | मैं निःस्वार्थ भाव से प्रकाश देने जरूर आऊंगा |

हमारे जीवन में इतने रिश्ते -नाते के बीच अक्सर ऐसे पल आता है | जँहा हम आहत होते रहते है , लोग भी निष्ठुर के जैसा व्यवहार करते है | मानव निर्जीव ही नहीं सजीव के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करता है , काम से काम रखता है | काम हो जाने के बाद बहुत कम लोग याद करते है |  क्यूँकि वो चाहे जितना बार दीपक का उपयोग करे लेकिन उसके अहमियत को नहीं समझते है |

इसलिए दोस्तों मेरा यही प्रार्थना है यदि आप अपने जीवन में दूसरों को महत्त्व देना चाहते है , तो सभी को मानव ही नहीं, पशु -पक्षी , बड़ा -छोटा , सजीव-निर्जीव , जो भी हो जिसका आप उपयोग करते है | उन सभी को धन्यवाद कहना शुरू करें , सुबह से शाम तक जो भी आपके जीवन में आता है , उनसभी को धन्यवाद करें | दीपक की तरह दूसरे का महत्त्व दे , खुद के बाड़े में ज्यादा मत सोचे |

हारा नहीं हूँ ,

बस कुछ वक्त के लिए शांत हूँ

दीपक हूँ,

जब भी जले तो प्रकाश हूँ

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