सिंधुताई Interview in Hindi

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नाम :     सिंधुताई सपकाल
जनम स्थान : 14 nov 1948 , वर्धा (महाराष्ट्र)  
जीवन साथी : श्रीहरि सपकाल  
पिता का नाम : अभिमान जी साथे  
पेशा  : समाजसुधारक

आज मैं एक ऐसे महिला के बारे में बात करने आया हूँ जिनकी कहानी आपके रोंगटे खड़े कर देंगे , एक ऐसी महिला जिसने शमशान में रही है जहाँ से लोग गुजारने से भी डर जाते है वहाँ वह महिला लकड़ी के आभाव में जलती चिता पर खाना बना कर खाई है , लेकिन जिंदगी से हार नहीं मानी , कोई जिंदिगी में कितना दुःख सह सकता एक महिला जिसपे दुखो का पहाड़ टुटा हो उसके बाद भी वो महिला उन पहाड़ से विशाल  उस मुश्किल परिस्थिति से सिर्फ लड़ी नहीं बल्कि जीती भी ,

उस महिला समाजसेविका का नाम सिंधुताई है , जो महाराष्ट्र के वर्धा के रहने वाली है , जो बहुत ही गरीब परिवार से थी , इसलिए सिंधुताई की  शादी 9 साल के उम्र में ही कर दिया गया था | उनके पति वन विभाग के अंदर गाय चराने का काम करते थे, सिंधुताई वहीँ गया का गोबर उठाती थी , जिसका उनको पैसा नहीं मिलता था सिर्फ उनके पति को ही वेतन मिलता था |

जिसका उन्होंने विरोद किया और कुछ महिलओं का संघ बना कर कलेक्टर के पास शिकायत किया , जिसपर वहाँ के कलेक्टर ने संज्ञान लेते हुए उनका वेतन शुरू किया | यहीं से उनका जिंदिगी बदल गया क्योकि कहते है ना ” किसी का लाभ किसी का हानि होता है ” यहाँ भी वही हुआ जिन लोगों का मुनाफा बंद हुआ उन में से एक ने सिंधुताई से बदला लेने के भावना से उनके पति को जा के कहा की ” आपके पत्नी के पेट में जो बच्चा है वो हमारा है ” इस बात पर सिंधुताई के पति ने उनको उसी समय पेट पर लात मार कर घर से निकल कर गौशाला में फेंके दिया और से गया को खुला छोड़ दिया , और सोचा की वो मर गयी होगी , पर सिंधुताई तो इस दुनिया में हज़ारों अनाथ बच्चो का उदार करने आयी थी

आप सोच सकते है एक ऐसी महिला जिसे ४-४ राष्ट्रपति ने सम्मानित किया हो उनको अनको पुरुस्कार मिल चूका है |

आज में उन्ही के जुबानी उनके जिंदिगी के कुछ जाने-अनजाने लम्हो को एक इंटरव्यू के माध्यम से बताना चाहता हूँ |

1. आप अपने बचपन के बारे में बतायें , आपको इतनी संघर्ष करने की शक्ति कहाँ आयी ?

Ans : मैं 20 साल के थी और मेरा बच्चा 10 दिन का था जब ससुराल वाले ने मायकेवाले ने  मुझे घर से बहार निकल दिया | भूख तो थी मन करता था मर जाने का लेकिन मैंने सोच लिया मरना नहीं है , लेकिन फिर भी भूख तो थी ना भूख से बेहाल हम स्टेशन पर गया देखा लोग गाना गया और दाना मिलगया मैं भी गाना गया और दाना मिलगया सबने मिलबांट के खाया और बन गया माई |

2. सुना की अपाके बच्चे का डिलीवरी गाय के गौशाला में हुआ |

Ans . मेरा सरकार के साथ  बड़ा झगड़ा हुआ , क्युकी हमारा पति और सब के पति गया चराता था | और हमलोग गोबर उठाया करती थी | उस समय के कलेक्टर रंगराथन से शिकयत किया की हमारे पति को तो पैसा मिलता है हमको क्यों नहीं, तो हम आखिर जीता और हमलोग को पैसा मिला | कहते है ना जब सब का भला होता है तो किसी का तो बुरा हुआ , उस समय मैं 9 महीने का प्रेग्नेंट थी | उस आदमी ने मेरे पति को बोला “तुम्हारी पत्नी के पेट में जो बच्चा है वो हमारा है ” फिर भला कौन सा पति रखेगा | मेरे पति ने मेरे पेट पर लात मारा और सोचा की मर गयी है उसका इल्जाम सर पर ना आये इसलिए मेरे पति ने मुझे गौशाला में फेंक कर , सारे गया को खोल दिया और फिर डेलिवरी वही हुआ और जब में बेहोशी के हालत से निकल कर आँख खोली तो देखा चारो और से गौ माता ने मुझे घेरे हुए थी  और एक गया मेरे सामने खड़ी थी उसको मानवता , ममता किसने सिखाई , फिर मै किसी तरह उठा और उस गया को गले लगा कर बहुत रोई सब ने मुझे छोड़ दिया लेकिन तू ने नहीं छोड़ा मेरी माया बानी | अब मैं वचन देता हूँ की में ” आखिरी दम तक सिर्फ मैया बनुँगा ” और बन गयी माया |

3 . बाद में वो बच्चा लेके आप ने अपना जीवन कैसे चलाया ?

Ans पहले तो बच्चे का नाभि तो मैंने पत्थर से तोरा रे वो कैसा करे मेरे पास क्या था , कुछ भी सामान नहीं था कोई आदमी भी नहीं था नाभि को काटने के लिए फिर मैंने उसको टेड़ा सुलाया नीचे एक पत्थर रखा और हाथ में दूसरा पत्थर लिया ,पहला पत्थर मरने से पहले सोचा अरे अभी तो जन्मा है और मैं पत्थर मर रहा हूँ लेकिन इलायज़ भी तो नहीं था , फिर मैं लगातार पत्थर मरती गयी और उसको गिनता गया , तब मैंने सोचा 16 पत्थर में नाभि का नाल टुटा तो जिंदगी का नाल कितना मजबूत होगा |

4 .कभी हार नहीं मानी आपने |

Ans : माना ना बेटा कितने बार दिल में मरने का ख्याल आया , एक बार तो लगा चलो आज मर ही जाते है फिर बच्चा को लेके रेल की पटरी पर जा कर बैठ गया , जब पटरी हिलने लगी तब मानो बच्चा मेरे तरफ देख कर पूछ रहा हो , मुझे जनम किसलिए दिया था | फिर मैंने सोच नहीं -नहीं नहीं मरना है और  में पटरी से उठकर भागी फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे रेल मेरे पीछे पीछे आ रही है

5. अपने सन्मति बल निकेतन संस्था कैसे शुरू की जिसके पास अपने खाने के लिए पैसा नहीं वो इतने बच्चे को कैसे पाली ? अभी तो आपके पास हज़ारो बच्चे है |

Ans और अभी भी नहीं है | सरकार ने मुझे कुछ नहीं दिया बस सम्मान दिया , चार राष्ट्रपति ने मुझे बस सम्मानित किया grade नहीं दिया , लेकिन भूख तो हर रोज़ लगती है ना भूख लगने का बाद ” भाषण देने के बाद रासन मिलता है रे बाबा ”  सरकार ने नहीं दिया ना तो मैंने जनता को ही सरकार बनया रे बाबा , आज भी में भाषण देता हूँ तो मुझे रासन मिलता है रे बाबा , मैं लोगो को बतया ये मेरा बच्चा नहीं है रे ये आप सभी के बच्चा है और मैं एक  गाना गति हूँ  भाषण देने के समय :-      

                              ”  हम से ना तुम  खाने की ना पिने की बात कर ,

                                 दुनिया में मर्दो की तरह जीने की बात कर |

6. अभी  आर्थिक  मंदी का दौड़ चल रहा है  इस समय बहुत लोग हताश है और अपने आप से हार मन लिया है आप उनको कैसे motivate करेंगे ?

Ans एक दिन ऐसा आता है की दिए में तेल नहीं होता है , एकदम अंधेरा छा जाता है, बेटा तब तुम अपने आँशु डालो उसमें आँशु का taste होता है ना वो खाड़ा होती है मीठी नहीं होती रे मीठा और खाड़ा तो साथ में चलता है रे , कल की बात खुदा के हाथ :

           मंजिल बहुत दूर है जाना वहाँ ज़रूर है ,

रास्ता मुश्किल है मरना मंजूर है

          लेकिन दुसरो के लिए अपने लिए नहीं ,

जिओ और जीने दो खड़ा हो जाओ अपने पैरों पर , सुबह तुम्हारी है |

7. बहुत बच्चे पाल  दिए आपने अभी कितने बच्चे आपके आश्रम में है ?

Ans  250 दामाद है , 50 बहुऐं है और 750 पुरुस्कार  है ( हॅसते हुऐ। …… ) लेकिन पुरुस्कार की रोटी नहीं बनती है ना

8. आप शमशान में क्यों रहती थी ?

Ans : 20 साल उम्र था हमारा चार बच्चा आ कर उठा ले तो क्या करती , और मैं जानती थी की रत को शमशान में कोई नहीं आता ,  क्युकी शमशान में लोग मरने के बाद जाते थे और यदि कोई मुझे देख लेता तो भाग जाता था भूत -भूत कर के इसलिए शमशान अपने बाप का घर | सच शमशान ने ही मुझे जिंदिगी सिखया , एक ताजा मुर्दा जल रहा था मेरे सामने और कोई नहीं था वहाँ मैं अकेले  था और रो रही थी जोर-जोर से तभी ऐसा लगा जैसे वो मुर्दा मुझे कह रहा है सिंधुताई मैंने जिंदिगी में बहुत किया रे आज अकेले जल रहा हूँ , चिंता मत कर कफ़न में जेब नहीं होता और जिंदिगा रिश्वत नहीं लेती , जब मरना है तब मरेंगे लेकिन तब तक मरने वाले के लिए जीना सीखना है

9. मैंने सुना की आप ने श्मसान में रोटी खाई , अपने तो खाई मेरी तो सोच के ही रोंगटे खड़ा हो जाती है | ऐसा किस परिस्थिति में करना पड़ा ?

Ans रात को शमशान में क्यों जाती क्यों की मुझे पता था की वहाँ लोग मरने के बाद ही जाता तो रात में कोई भी नहीं जाता इसलिए जिंदाबाद अपने बाप का घर शमशान , इसलिए समशान मैं जाती थी | जिस दिन रोटी मैं जलती  लाश के  ऊपर बना के खाया उस दिन मैं बहुत ही डर गयी थी क्यों की कुत्ता बहुत ही  जोर जोर से भोंकने लगा सभी पशु पंक्षी जोर जोर से चीला रहा था ऐसा लग रहा था जैसे मुझे कह रहा हो तुम मेरा खाना खा रहे हो , जाओ यहाँ से मुझे बहुत डर लग रहा था में सोच रहा था अभी क्या करना है , उसी दिन बाजु में किसीने मुर्दा गाढ़ा था मुझे ऐसा लगा वो मुर्दा मिटी से बोल रहा है ” सिंधुताई थक गई  तू हार गयी तू , मिटी में मुझे गाढ़ा है जिंदिगी  भर बहुत काम किया एक दिन तो सब को मरना है सब को जाना है ” मिटी बोल रहा है :

ऐ लहेत अपनी मिटी से कहदे , दाग लगने न पाए कफ़न को  ,

 आज से हमने बदले है कपड़े , आज ही हम नाहये हुए है |  

पूरी जिन्दिगी तो नहाया नहीं था अभी तो नहाया हूँ , अभी कपडे भी बदले थे तू जरा मिट्टी को बता क्यों के मेरे कपड़े गंदे हो जाएंगे मरने के बाद मुर्दा मिट्टी से कह रहा है | फिर मेरे  पास तो कपडे ही नहीं है फिर मैंने सोचा मुझे उसके लिए जीना है जिसको कपड़े ही नहीं है और फिर मैंने कहा मरना भी नहीं , डरना भी नहीं , पीछे मुड़ना भी नहीं , अब कुछ करना है |

10 . मराठी लोग आपका बहुत सम्मान करते है जहाँ भी जाते है लोग आपको सम्मान करते है आपके पैर छूते है , अब धीरे –धीरे बाकि भरता के लोग भी आपको जानने लगे है | आप उनको क्या कहेंगे कैसे motivate करेंगे ?

Ans . बेटा अँधेरा तो हर दिन आता है चारों ओर अँधेरा है ,अपने दिल का दिया जलाओ और उजाला का निर्माण करो की लोग तुमको ढूढ़ते आ जाये बोलेंगे हम भी तुम्हारा , हम भी तुम्हार सब लोग बोलते चले आएंगे ,यही तो मैंने किया है |

11. मैंने सुना की बाद में आप ने अपने पति को माफ़ कर दिया , कैसे किया ये सब ?

Ans शयद मैं इस दुनिया के पहली महिला हूँ। जिसने उस व्यक्ति को माफ़ कर दिया जो उसको घर से निकला , और दुनिया की पहली पहिला हूँ जिसको ससुराल वाले ने पहले निकला और बाद में फूल माला से स्वागत कर लेने आये | जब उन्होंने (पति के बात कर रही थी ) ने मुझे लेने आये मेरा हाथ अपने हाथ में लेके बहुत रोया , मैं बोली जब आपने मुझे निकला तब मैं रो रही थी आज आप रो रहे है चलो 50 -50 हुआ , मैं बोली जिस समय आपने हमको निकला उस समय मेरी साडी फटी थी आज आपकी धोती फटी है | चलो मेरे साथ लेकिन हाँ मैं आपकी माँ बनना चाहती हूँ , पत्नी नहीं और फिर वो मेरे साथ आ गए।  मैंने अपने बच्चो को कहा अगर ये मेरे को नहीं छोड़े होते तो तुमको माँ मिलती क्या , नहीं ना इसलिए आज से इनकी भी सेवा करो | पिछले साल ही वो भगवान के घर गए | और मैं माँ रह गयी |

12. आप दो शब्द जो लोगों को कहना चाहते हैं |

Ans कभी कभी धन्यवाद बोलो जो आपके ऊपर संकट आता है | जो बिज़नेस रुक जाता है ना वो time को धन्यवाद बोलो , क्युकी अगला रास्ता हमको दिखता है , दिन निकलने वाला होता है थोड़ा सा अँधेरा आ जाता है | फिर भी हारना नहीं , मरना नहीं , डरना नहीं

                  “ये भी कुछ कम  नहीं  तेरा दर छूटने के बाद ,

हम अपने पास आये दिल टूटने के बाद “

टूटने दो रे लेकिन जुड़ना सीखो , और एक बात है चलना सीखो चलते -चलते खुद के लिए चलना है ही रे दुसरो के लिए भी चलना सीखो उसकी भी बहुत ज़रूरत होती है रे|

13. आज लोग छोटे –छोटे बातो से परेशान हो जाते है ऐसे में आपकी कहानी बहुत साहस देती है |

Ans साहस तो मेरे पास भी नहीं थी रे ,वो समय ने साहस दिया,जब इतनी छोटी से बच्ची को चादर में लपेट कर नदी किनारे नहाने लेगयी और पानी को छुआ तो बहुत ठंडा था और उसमे उस बच्ची को नहाया और भी नहाया तब मेरे को मालूम हुआ  की सिंधुताई जिन्दिगी बहुत गरम होता है मगर ये ठंडा पानी उसको लगाओ तब जीना आता है रे

जब उसीने मेरे कब्र पर आ कर मुस्कुरा दिया -2 ,

बिजली चमक कर गिर पड़ी  सारा कफ़न जला दिया

तब मैंने तय किया कफ़न जले तो जले लेकिन दफ़न नहीं होना , और खुद के लिए जीना नहीं तो औरो के लिए जीना सिख , और मैंने जीना सिख लिया |

14 . बच्चों को गोद लेने का विचार आपको कहाँ से आया ?

Ans विचार नहीं आया ,जिसको खुद के लिए खाना नहीं था,वो दूसरों को क्या खिलायेगा , लेकिन मन में ऐसा लगता था की जो मिले उसको मिल-बाँट के खाना है | चलो और भी दुखी लोग होंगे उसके पास जाऊँ  और मेरे को ये मालूम था

 ” मेरे जनाज़े के पीछे सारा जहाँ निकला

लेकिन वो नहीं निकले जिनके लिए जनाज़ा निकला “

 इसका मतलब जिसका कोई नहीं उसका मैं हो ली |

15. इसका मतलब जब भी कोई अनाथ बच्चा , बेसाहारा बच्चा आपको दिखता था आप उसको उठती थी ,पालती थी |

Ans उठती थी ना , बहुत सारा बच्चा मिलता था ,कोई रेलवे स्टेशन पर , कोई सड़क किनारे ठण्ड से काँपता हुआ , ऑंख पर कपडे नहीं थे मैं उसको उठाती थी , कपडा डालती थी | उसको गले लगता था वो ऐसे मुझ में चिपकता था की वो भूल जाता था की मैं उसकी माँ नहीं हूँ , और मैं भी भूल जाता था की वो मेरा कोई नहीं है ऐसा एक अलग नाता रिश्ता शुरू होगया हमारा। (ये बात सुन कर लोग तालियाँ बजने लगे. . . . . . . )

16. लेकिन माई पहले आप बच्चों को ले तो लेती थी लेकिन रखती कहाँ थी ?

Ans पहले तो में स्टेशन पर ही रहती थी बाद में एक आदिवासी ने एक झोपड़ा बना के दिया वो भी झोपड़ा ऐसा था की जोर का हवा चलता झोपड़ा ही उड़ जाता था | वही आदिवासी के घर में रह रह कर कब मेरा घर होगया मालूम ही नहीं चला | लेकिन घर होगया |

17 . जिस वक्त आप आदिवासी के घर में रहते थे उस वक्त आपके पास कितने बच्चा था ?

Ans बहुत ही छोटा परिवार था मेरा थोड़े समय में परिवार बढ़ने लगा फिर चिंता भी बढ़ने लगी , खाने को क्या दे ,भूख तो हर रोज लगता 8 दिन में लगती नहीं थी |फिर मैं भगवान का गाना बोलता था

 “हम से तू खाने की  न पिने की बात कार मर्दों की तरह दुनिया में जीने की बात कर |       

जिस मातृभूमि की अरे तू गोद में पला ,जिसकी पवित्र धूल में घुटनो के बल चला |       

    उसके फाटे अंचल को तू सीने की बात कर , मर्दों की तरह दुनिया में जीने की बात कर |

 ये गाना के बाद लोग मुझे जीने के लिए खाना देते थे और हम फिर उसको बाँट कर कहते थे |

18. 2009 मराठी साहित्य में भाषण देने के लिए अमेरिका बुला गया था कैसा था वहाँ का अनुभव ?

Ans जब अमेरिका गयी तब मेरे ऊपर picture निकला , जब मैं पहली बार प्रदेश जा रही थी तो मुझे बहुत डर लग रहा था की एक गांव के औरत अमेरिका में क्या बोलेगी , लेकिन फिर मैंने सोचा तू गलत कर रही है सिंधुताई ,जिस देश से तू आयी न उसको भारतमाता बोलते है , भारतमाता की जय अरे अमेरिका को थोड़े माँ बोलते है ये सोचा और ठोक के भाषण दिया | और एक बात जब मैं स्टेज पर चढ़ी न तो लोग जोर से बोले जय महाराष्ट्र अपने जैसा महसूस हुआ रे |

19. आप अमेरिका अकेले गयी थी ?

Ans एक बच्चा साथ में था मनीष नाम का , अकेले जाने के हिम्मत काम नहीं किया |

20. आप से जब पहली बार लोग मिलये के माई आपके जिंदगी के ऊपर film बनानी है तो कैसा लगा आपको ?

Ans मेरे को पहले बहुत डर लगा ऐसा क्या है मेरी जिंदिगा में जो की film बनेगा , मेरे को doubt हुआ , मैंने पूछा ऐसा क्या है मेरी जिंदगी में , उन्होंने ने बोलै सब कुछ है | सिर्फ हां बोलो माई , मैंने है बोला और filim शुरू होगयी बनना , film बनने के बाद | उन्होंने मुझे और भी बहुत सम्मानित लोगों को film देखने के लिए बुलाया | film देखने के बाद मेरे को बहुत रोना आ रहा था ऐसा लग रहा था मैं जोर जोर से रोयुं लेकिन फिर चारों तरफ देखा सब लोग रो रहे थे , फिर मैंने अपना रोना cancel कर दिया |

20. इस film से आपकी सबसे बड़ी ख़ुशी क्या थी ?

Ans सामान्यतः बाई परेशान होकर मरना चाहती है मेरे film देखने के बाद हज़ारो बाई में मुझे फ़ोन कर के बताई के माई मैं जीना चाहती हूँ | जीने का हौसला दिया |

21. जिस अनाथ बच्चों को आप ने पला आज वो बारे पोस्ट पर चले गये तो आपको कैसा लगता है ?

Ans एक माँ के लिए इस से बड़ी ख़ुशी और क्या हो सकती है | जिस बच्चा को कभी खाना नहीं था आज वो इतनी उच्चाई पर चले गये | मेरा तो कोलोर ही उच्चा होगया |

22.आप खुद उतनी पढ़ी –लिखी नहीं है फिर इतनी अच्छी बाते कैसे कर लेती है ?

Ans जिंदगी ने सिखाया , भूख ने सिखाया ,रोटी नहीं मिली तो बोलना आया रे , ये गरीबी की भाषा है , ये तड़प की भाषा है | अंदर का दुःख शब्दो में बदल गया रे |

और दोस्तों अंत में एक छोटा सा आग्रह है की , आप सिंधु माई के इस सच्ची कहानी को सभी लोगों को शेयर करे , हमें लगता है एक बार तो मरनेवाला भी अपना विचार बदल लेगा | और कितना ऊर्जा मिलती है ऐसे प्रेणादायक माई की जीवन गाथा को सुन कर जिंदगी में कुछ कर गुजारने का मन करता है | तो हमें उम्मीद है आप माई के करवा को आगे बढाने में मदद करेंगे | आप से जितना बने आप माई के संस्थान में जितना हो सके उतना दान दे सकते है | account deails is here :-

NAME: SANMATI BAL NIKETAN

Account No: 102104000077288

IFSC CODE: IBKL0000102

BANK IDBI BANK

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जय हिन्द
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4 Comments

  1. Sindhutai jesi mata ki kahani padkar ye bat samajh aayi ki jindgi me chahe kitni bhi kathin situations ho hame har nhi manani chahiye

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