डॉ कलाम के असफलताओं की प्रेरणादायक कहानी

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डॉ कलाम

Dr.APJ कलाम जो की जनता के राष्ट्रपति के रूप में याद किये जाते है , कलाम जब अपने कार्यकाल पूरा करके , जब राष्ट्रपति भवन से जा रहे थे तो उनसे विदाई संदेश देने के लिए कहा गया. उनका कहना था, ‘विदाई कैसी? मैं अब भी एक अरब देशवासियों के साथ हूं.’ | डॉ कलाम अपना पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया यँहा तक के अपने जीवन के अंतिम पल भी जनता के बीच ही बिताये थे |

जब हम डॉ कलाम का नाम सुनते है तो हमें सफलता और सादगी का मिसाल मिलता है और ऐसा लगता है की असलफता तो कभी इनके रास्ते में आया ही नहीं होगा | लेकिन ऐसी बात नहीं है, डॉ कलाम ने भी अपने जीवन में कई बार असफलता का सामना किया | डॉ कलाम का आपने सफलता , सादगी और देशभक्ति के बहुत किस्से पढ़े है लेकिन आज हम डॉ कलाम के असफलताओ को पढ़ेंगे |

आज के अपने इस पोस्ट में हम डॉ कलम के जीवन के असफलता के बाड़े में जानेंगे साथ में ये भी जानेंगे की उन्होंने इसको सफलता में कैसे बदला |

शिक्षक के सामने शर्मिंदगी झेली

ये कहानी डॉ कलाम की पुस्तक “मेरी जीवन यात्रा “से लिया गया है |डॉ कलाम के जीवन तो वैसे मुश्किलों से भरा रहा, उन्होंने अपने जीवन में ख़ुशी से ज्यादा गम देखे थे | लेकिन फिर भी कलाम अपनी पहली असफलता  MIT में दिए assignment को सही तरीक से नहीं करने पर जो शिक्षक के द्वारा जो फटकार पड़ी थी उसको मानते है | वो कहानी क्या है मैं आपको वो सुनाता हूँ |

डॉ कलाम एक होनहार छात्र से और एक अच्छे छात्र से शिक्षक को उतना ही ज्यादा expectaion होता है | तो होता क्या है  डॉ कलाम MIT (मद्रास इंस्टीटूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ) में एरोनॉटिक्स के छात्र थे | और उनके शिक्षक श्रीनिवासन ने उनके टीम (जो की 4 छात्र का था ) को काम ऊंचाई पर उडने वाले विमान का डिजाइन तैयार करने का टास्क दिया देते है | और डॉ कलाम इस टीम के इंचार्ज थे | उन्होंने कई हफ्ते इसके ऊपर कड़ी मेहनत किया | उसके बाद एक दिन उनके प्रोफेसर श्रीनिवासन ने उनसे उनके डिजाइन और प्रोग्रेस वर्क को दिखाने को कहा |

डॉ कलाम और उनके टीम ने अपने वर्क को प्रोफेसर के सामने प्रस्तुत किया | प्रोफेसर ने इस प्रोजेक्ट को बहुत ही बारीकी से देखा | तभी प्रोफेसर डॉ कलाम और उनके टीम की तरफ देख कर बोलते है ” इतना अच्छा डिज़ाइन नहीं है कलाम , मुझे तुमसे ज्यादा उम्मीद थी , यह कार्य निराशाजनक है , मुझे बहुत निराशा हुई | तुम्हारे जैसा होनहार छात्र और ऐसा काम “

यह सुनकर कलाम हक्का-बक्का रह गए थे क्यूँकि कलाम अपने क्लास के बहुत ही होनहार छात्र थे | इससे पहले उनको कभी भी क्लास में डाँट या इतनी शर्मिंदगी नहीं उठानी पड़ी थी | ये सब कलाम को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था |

लेकिन प्रोफेसर श्रीनिवासन और भी शक्त होते हुए बोले  “अब तुमको पूरा assignment फिर से सिर्फ 3 दिन में पूरा करना है ” और यदि ऐसा नहीं हुआ तो तुम्हारा स्कालरशिप बंद कर दिया जायेगा |

ये सुनकर कलम हैरान परेशान हो गये | क्यूँकि की कलाम की पढ़ाई स्कॉलर के भरोसे ही हो रहा था | मतलब स्कॉलर बंद होना मतलब उनका पढ़ने का सपना ही खत्म हो जाता | कलाम के आँखों के सामने उनका सपना और परिवार का स्तिथि पिक्चर की तरह नाच रहा था | प्रोफेसर के द्वारा बोले गए कुछ लफ्ज़ से उनका पूरा भविष्य ही अंधकारमय दिखाई पड़ने लगा था |

लेकिन उसके कुछ समय बाद ही डॉ कलाम ने खुद को साबित करने के लिए दृढ़ निश्चय के साथ खड़ा होते है | और उसके बाद उन्होंने और उनके टीम ने तीन दिन तक बिना सही ढंग से खान खाये और सोये बिना अपने काम में डटे रहे , और अपने काम को तीन दिन से पहले ही पूरा कर चुके थे | और जब उनके कार्य को प्रोफेसर श्रीनिवासन ने देखा तो मुस्कुराते हुए उनको गाला लगा लिया और डॉ कलाम के पीठ को थपथपाया और कहते है

मैं जनता था की मैं तुम पर उस वक्त बहुत ज्यादा दबाब डाला , और एक नामुमकिन समय-सीमा तय कर दिया था , फिर भी तुमने निर्धारित समय -सीमा के भीतर अपना काम पूरा कर लिया | यह काम असाधरण कोटि का है, “अध्यापक होने के नाते मैंने तुम्हें तुम्हारी सिमा से आगे धकेला , ताकि तुम अपनी सच्ची ताकत एवं संभावना को पहचान सके “

कलाम पायलट बनना चाहता थे

MIT के पढ़ाई के बाद अब डॉ कलाम के जॉब की बारी था और सबसे पहले वो HAL में कुछ समय काम करते है  जँहा वो वास्तविक विमान देखते है और वो  आसमान में उड़ने का सपना देखना शुरू कर चुके थे और फ्लाइंग के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते है |  और इंजीनियर बनने के बाद उनके पास 2 जॉब के अवसर आता है |

पहला एयरफोर्स में था तथा दूसरा DTDP (तकनिकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय ) रक्षा मंत्रालय में था | दोनों का इंटरव्यू दो स्थान में था , एयरफोर्स का देहरादून में तथा DTDP का दिल्ली में था | डॉ कलाम एयरफोर्स में पायलट बनाने का खाव देख रहे थे | वो अपने सपने को पंख लगा कर आसमान में उड़ना चाहते है |

सबसे पहले उन्होंने DTDP का इंटरव्यू दिल्ली में दिया , जो की बहुत आसान रहा था | क्यूँकि ये उनके विषय से जुड़ा हुआ था इसलिए ये बहुत आसान लगा था | जिसके एक सप्ताह बाद एयरफोर्स का इंटरव्यू होना था | जिसके लिए इनको देहरादून जाना था |

एयरफोर्स का इंटरव्यू उनके लिए आसान नहीं रहा था | डॉ कलाम बताते है एयरफोर्स के इंटरव्यू से लौटने के बाद उन सवालों के जबाब ढूँढना शुरू करते है , और पाते है की इंजीनियरिंग के ज्ञान के आलावा कैंडिडेट में हाजिर -जबाब की गुण भी होनी चाहिए |

एयरफोर्स में उम्मीदवार के तौर-तरीके , आचरण व् व्यवहार का भी बहुत योगदान है | डीटीडीपी में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक की अपनी नौकरी में अपना ‘दिल और जान डालने वाले’ कलाम ने लिखा, जब हम असफल होते हैं, तभी हमें पता चलता है कि यह संसाधन हमारे अंदर हमेशा से ही थे।

हालाँकि डॉ कलाम राष्ट्रपति बनने के बाद सुखोई को उड़ाते है और इस तरह पायलट बनने का भी सपना पूरा करते है|

वैसे मेरी जीवन यात्रा एक बहुत ही बेहतरीन बुक है , इसमें आपको डॉ कलाम के जीवन को करीब से जान पाएंगे | डॉ कलाम का जीवन करोड़ो भारतीय का जीवन के प्रेरणा श्रोत है |  पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का 27 जुलाई 2015 को शिलांग के आईआईएम में एक व्याख्यान देने के दौरान गिरने के बाद ही हमलोग छोड़ कर चले गए, लेकिन उन्होंने जो विचार छोड़ के गए है वो अमिट है |

दोस्तों मेरा एक ही रिक्वेस्ट होगा की आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा युवा के साथ शेयर करें,जो उनको मुश्किल समय में प्रेरित करेगी |

जय हिन्द

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5 Comments

  1. डॉ कलाम के जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण घटना वर्तमान पीढ़ी को बहुत सीख देता है।
    बहुत सुंदर लेख।

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