पढिए ह्यूमन कम्प्यूटर शकुंतला देवी की जीवनी

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पढिए ह्यूमन कम्प्यूटर शकुंतला देवी

आज हम एक ऐसी महिला के बाड़े में बात करने वाला हूँ जिसे ह्यूमन कंप्यूटर कहा जाता है , जो बड़े से बड़े संख्या को भी कुछ सेकण्ड्स में कैलकुलेट कर देती है | कंप्यूटर गलत हो सकता है लेकिन इस महिला का कैलकुलेशन नहीं , ये है भारत के ह्यूमन कंप्यूटर शकुंतला देवी | जिनके ऊपर अभी एक फिलम भी आया है जिसका नाम ” The extraordinary story of Shakuntsla Devi ” है , जिसमे विद्या बालन मुख्य भूमिका में है | शकुंतला देवी विश्व प्रशिद्ध गणितज्ञ है, इसको बहुत सारा अवार्ड मिल चूका है | इन्होने ने अपने नॉलेज से पूरी दुनियाँ को चौका दिया था |

मैं अपने इस पोस्ट में शकुंतला देवी के जीवन को जानेंगे साथ में उनकी उपलब्धि से भी अवगत करवाऊंगा |

प्रारंभिक जीवन

शकुंतला देवी का जन्म कर्नाटक के बंगलौर में सन1929 में एक ब्राह्मण परिवार में होता है | इनके माता -पिता का नाम तो नेट पर उपलब्ध नहीं है लेकिन ऐसा बताया जाता है की इनके पिता सर्कस में काम करते थे |

इन्होने किसी तरह के प्राथमिक शिक्षा नहीं ली थी | लेकिन इनके अंदर गणित और गणना का कला बचपन से था | इसका बात की पता चलता है , जब  शकुंतला देवी का उम्र सिर्फ तीन साल था , तो इनके पिता उनको कार्ड के कुछ ट्रिक्स खेलने के लिए बुलाते है | लेकिन तीन साल की शकुंतला देवी उस खेल में अपने पापा को हरा देती है और एक बार नहीं बार -बार हारती है | जिससे इसके पिता चौक जाते है , और उनको ऐसा अहसास होता है की उनके बेटी के अंदर कुछ तो विलक्षण प्रतिभा है |

और उनके बाद शकुंतला देवी के पिता सर्कस को छोड़ कर , अपने बेटी को जगह -जगह लेकर जाते है और शो करते है और लोग को कहते है , इस बच्ची से कुछ भी पूछो ये बिलकुल सही जबाब देगा और ऐसा ही होता था | किसी को समझ नहीं आता था की ये कैसे ऐसा करती है | शकुंतला देवी ने अपने नॉलेज से लोगों को बार बार चौकाया |

जब शकुंतला देवी  की आयु 6 था , तो उन्होंने पहली बार मैसूर विश्वविद्यालय में एक गणित प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इसके पहले उन्होंने कभी भी किसी तरह का शिक्षा प्राप्त नहीं की थी | बाद में भी इनके स्कूली शिक्षा का कोई प्रमाण नहीं मिलता है | बाद में 11 वर्ष की उम्र में वो अपने पिता के साथ लंदन चली जाती है |

उपलब्धि

  • लंदन जाने के बाद भी अपने इस हुनर को प्रदर्शन जारी रखती है  1950 तक, शकुंतला देवी यूरोप के अलग -अलग जगह का दौरा कर रही थीं। वहां, 5 अक्टूबर, 1950 को, फेमस ब्रॉडकास्ट जौर्नालिस्ट लेस्ली मिशेल ने उनके साथ बीबीसी पर एक विशेष कार्यक्रम को होस्ट किया, जहाँ उन्होंने मैथमेटिकल और कैलेंड्रिक समस्याओं को हल किया। असल में, बीबीसी के इस फीचर के बाद उन्हें बहुत बड़े लेवल पर प्रशिद्धि मिला और उन्हें ह्यूमन – कंप्यूटर कहा जाने लगा ।
  • एक बार क्या होता है जब उनका और कंप्यूटर का एक मैथमेटिकल प्रॉब्लम का जवाब अलग आया , तो शकुंतला देवी ने कहा की कंप्यूटर गलत जबाब दे रहा है , उनका कॉन्फिडेंस देखकर लोग दंग रह गए | उसके बाद कंप्यूटर को चेक किया गया और ये पाया गया की कंप्यूटर का जबाब गलत है जबकि शकुंतला का जवाब सही था। हालाँकि, उन्हें ह्यूमन – कंप्यूटर कहलाना बिलकुल भी पसंद नहीं था  उनका कहना था कि मानव मन ने कंप्यूटर बनाया है , इसलिए वो हमेशा मशीनों से बेहतर बने रहेंगे।
  • शकुंतला देवी बहुत ही स्वाभिमानी स्वाभाव की थी , 1950 के एक इंटरव्यू में, शकुंतला देवी ने कहा कि “मैं किसी भी आदमी को यह कहने का अवसर नहीं देना चाहती कि अगर मैंने नाम कमाया तो उसकी मदद की वजह ही ऐसा हुआ।” इसलिए जब उन्होंने शादी की, तो उन्होंने अपने पति के सरनाम को अपनाने से भी इनकार कर दिया।
  • शकुंतला देवी की प्रतिभा को 1982 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guiness Book Of World Records) में भी जगह मिली। उन्हें ये जगह इसलिए मिली क्यूंकि उन्होंने बिना किसी कंप्यूटर की मदद लिए 28 सेकंड में दो 13 अंकों की संख्या को मल्टीप्लाई किया था उन्होंने दो 13 अंकों की संख्या -7,686,369,774,870 × 2,465,099,745,779 से गुणा किया- जिसे इंपीरियल कॉलेज, लंदन के कंप्यूटर विभाग से लिया गया था। जिसका उन्होंने बड़ी सरलता से 28 सेकंड में 18,947,668,177,995,426,462,773,730 का सही उत्तर दे दिया था |
  • उनके इस ज्ञान के ऊपर बहुत से यूनिवर्सिटी ने अध्यन किया जिसमें से वर्ष 1988 में, कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में मनोविज्ञान के प्रोफेसर आर्थर जेन्सेन द्वारा शकुन्तला की क्षमताओं का अध्ययन किया गया। जहां जेन्सेन ने बड़ी संख्या की गणना सहित उनके सभी कई कार्यों के प्रदर्शन का परीक्षण किया।
  • इसके आलावा उन्होंने एक लेखक के रूप में , The World of Homosexuals, कुकबुक और उपन्यासों सहित कई पुस्तकें लिखी है

शकुंतला देवी को मिले अवार्ड

1. 1969 में फ़िलीपीन्स विश्वविद्यालय ने उन्हें वुमेन ऑफ़ दी इयर का अवार्ड से सम्मानित किया था|

2.  1982 में मानव कंप्यूटर शकुंतला देवी का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के लिए सबसे बेहतरीन गणितज्ञ के रुप में दर्ज किया गया था

3.  1988 में शकुंतला देवी जी को अमेरिका के तत्कालीन भारतीय राजदूत द्वारा “रामानुज मैथमेटिकल जीनियस” अवॉर्ड से नवाजा गया था।

4. शकुंतला देवी जी को साल 2013 में “लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड” से सम्मानित किया गया था|

5. उन्हें  “ह्यूमन कम्प्यूटर” के उपाधि से भी सम्मानित किया जाता है

6.  शकुंतला देवी के  84वें जन्मदिन पर 4 नवम्बर, 2013 को गूगल ने इनके सम्मान स्वरूप इन्हें ‘गूगल डूडल’ समर्पित किया था |

वैवाहिक जीवन , सपने और मृत्यु

शकुन्तला देवी  यूरोप से लौटने के बाद साल 1960 में आईपीएस ऑफिसर परितोष बनर्जी से शादी करते है , जो शादी 19 साल तक चलता है उसके बाद इनका तलाक हो जाता है | इनकी एक बेटी अनुपम बनर्जी थी , अपनी बेटी के साथ ये फिर से कोलकत्ता से बैंगलोर वापस आ जाती है और अपने जिंदगी के अंतिम क्षण तक यही रहती है |

इनका सपना रहता था एक गणित विश्वविद्यालय और शोध एवं विकास केंद्र खोलना , जंहा एक बिल्कुल अनोखी तकनीकों के ज़रिये जनमानस को पेचीदा से पेचीदा  गणीतिय सवालों के हल करने के शोर्टकट्स और प्रभावशाली स्मार्ट तरीकों में निपुण बनाया जा सके। टाइम्स आफ इंडिया के साथ एक इंटरव्यू में शकुंतला देवी कहती है  -मैं अपनी क्षमता तो लोगों को ट्रांसफर नहीं कर सकती लेकिन एक संख्यात्मक रुझान तेज़ी से विकसित कर लेने में मैं जनसामान्य की मदद ज़रूर कर सकती हूँ। बड़ी संख्या है ऐसे लोगों की जिनकी तर्क शक्ति का दोहन नहीं किया जा सका है।

ऐसा बताया जाता है कि अपने जीवन के अंतिम महीनों में शकुंतला देवी बहुत कमजोर हो गयी थी , उन्हें साँस लेने में तकलीफ हो रहा था और उनको किडनी से सम्बंधित बीमारी भी था | अन्तोगत्वा दो हफ्ते के हॉस्पिटल में रहने के बाद 21 अप्रैल 2013 को उनका देहांत हो जाता है |

अपने इस पोस्ट में मैंने शकुंतला देवी के जीवन की सम्पूर्ण जानकारी समेटने का प्रयास किया , मैं कितना सफल रहा ये आप हमें कमेंट करके बताये | वैसे शकुंतला देवी पे बानी मूवीज भी रिलीज़ हो चूका आप मूवीज भी देख सकते है | और इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करें |

जय हिन्द

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5 Comments

  1. गणितज्ञा शकुंतला देवी के जिंदगी के बारे में बहुत सुंदर जानकारी दी गई है इस लेख में।
    मानव बुद्धि से निर्मित कोई भी वस्तु मानव मस्तिष्क से ज्यादा कुशल नहीं हो सकता है।
    आगामी लेख के लिए असीम मंगलकामनाएं

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