भारत के स्वास्थ्यवर्धन : डॉ हर्षवर्धन

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डॉ हर्षवर्धन

भारत के केंद्रीय स्वस्थ मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने शुक्रवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 34 सदस्यीय कार्यकारी बोर्ड के चेयरमैन का पद संभाल लिया। ये भारत को दुनियाँ के सामने एक बार फिर से गौरवान्वित करने वाले पल है | भारत को दुनिया में एक नई पहचान एवं प्रतिष्ठा मिल रही है, डब्ल्यूएचओ के सर्वोच्च पद पर भारत के स्थापित होने से इस पहचान को नया आयाम एवं ऊर्जा मिलेगी एवं दुनिया को एक प्रभावी स्वास्थ्य दर्शन मिल सकेगा।

वैसे तो इस पद पर भारत के चयन का श्रेय विश्वनायक नरेन्द्र मोदी को ही जाता है।

 फिर भी स्वास्थ्य मोर्चे पर अपनी अनूठी पकड़ एवं कौशल के कारण डॉ. हर्षवर्धन का मूल्यांकन समयोचित है, उनके काम एवं राजनीतिक चरित्र ऐसे रहे हैं कि उन पर जनता का विश्वास अटल हैं। उनका भारत की राजनीति में चारित्रिक एवं नैतिक मूल्यों का एक युग रहा है, अब उसे विश्वपटल पर भारत का परचम फहराने का समय है।

इतने सालों पहली बार किसी भारतीय को इस सम्मना से सम्मनित किया गया | डॉ हर्षवर्धन और भारत सरकार ने कोरोना से लड़ने में जिस तरह की अपने जिम्मेवारी निभाई है | ये उसी का परिणाम है की ऐसे मुश्किल समय में दुनियाँ ने भारत के तरफ देखा है |

तो आज हम डॉ हर्षवर्धन के जीवन परिचय से आपको परिचित करवाता हूँ |

शुरुआती जीवन और शिक्षा

डॉ हर्षवर्धन का पूरा नाम हर्षवर्धन गोयल है | हर्षवर्धन गोयल का जन्म 13 दिसम्बर 1954 को दिल्ली में ओमप्रकाश गोयल और स्नेहलता देवी के घर हुआ।

इन्होंने एंग्लो संस्कृत विक्टोरिया जुबली सीनियर सेकेण्डरी स्कूल, दरियागंज से 1971 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, कानपुर से 1979 में आयुर्विज्ञान तथा शल्य-चिकित्सा स्नातक की डिग्री प्राप्त की। पश्चात 1983 में इसी कॉलेज से ओटोलर्यनोलोजी में मास्टर ऑफ सर्जरी की उपाधि अर्जित की। इसके अलावा उन्होंने हैदराबाद के इंडियन स्कूल ऑफ बिज़नेस से एमबीए भी किया है

उनके पत्नी का नाम नूतन है और उन दोनों के तीन बच्चे हैं। दो बेटे मयंकभरत और सचिन तथा एक बेटी इनाक्षी है | हर्षवर्धन दिल्ली के कृष्णा नगर स्थित अपने पैतृक घर में परिवार सहित रहते हैं।  उन्होंने ईएनटी (नाक, कान व गले) सर्जन के तौर पर कृष्णा नगर में अपना क्लीनिक शुरू किया। वह दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहने तक नियमित रूप से इस क्लीनिक में मरीज देखते थे। अब भी जब क्लीनिक पर जाते हैं, मरीजों का हाल-चाल ले लेते हैं। सियासत में आने के दशकों बाद तक इसी क्लीनिक की आय से उनका घर खर्च चलता रहा। आज भी उनका घर साधारण ही है। घर के फर्नीचर तकरीबन 30 साल पुराने हैं।

राजनीती जीवन

डॉ. हर्षवर्धन की जिंदगी का ध्येय तीन शब्दों में रचा-बसा है, शुचिता, देशभक्ति व समाजसेवा। परिवार, समाज और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उन्हें इसी तरह विकसित किया है। नेतृत्व क्षमता उनमें शुरू से रही है। कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (जीएसवीएम) मेडिकल कॉलेज में वह जूनियर डॉक्टरों के संगठन से जुड़े और उनके संघर्ष का नेतृत्व किया। जब तक वह वहां रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा भी लगाई।

बाद में 1990 के बाद डॉ. हर्षवर्धन ने 1993 से 2013 तक पांच बार दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते। 2014 व 2019 में उन्होंने चांदनी चौक सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता |

वर्ष 1993 से 1998 तक दो मौके आए, जब उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने की पार्टी में बात चली और पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी उनके पक्ष में था, लेकिन परिस्थितियां अनुकूल नहीं रहीं, जिसकी वजह से अंतत: मुख्यमंत्री नहीं बन सके। इसके बाद भी वर्ष 2013 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव पार्टी ने उनके नेतृत्व में लड़ा पर संख्या बल कुछ कम रह जाने की वजह से वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। हालांकि इसका मलाल उनके चेहरे पर कभी नहीं दिखा। जनता और पार्टी के हर फैसले को उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया।

केन्द्र में डॉ. हर्षवर्धन नरेन्द्र मोदी सरकार में एक सशक्त एवं कद्दावर मंत्री हैं। कई नए अभिनव दृष्टिकोण, राजनैतिक सोच और कई योजनाओं की शुरुआत की तथा विभिन्न विकास, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण परियोजनाओं के माध्यम से लाखों लोगों के जीवन में सुधार किया, उनमें आशा का संचार किया।

डॉ हर्षवर्धन का देश और दुनियाँ के विकास में योगदान :-

  • डॉ हर्षवर्धन का स्वस्थ के क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है |  इस देश को पोलियो से मुक्त करने में डॉ हर्षवर्धन का सबसे बड़ा योगदान था | इन्हें दिल्ली की सरकार में कानून और स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त किया गया। राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अक्टूबर 1994 में पोलियो उन्मूलन योजना का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम सफल रहा, अपने प्रयासों से उन्होंने इसे जनआंदोलन बना दिया।

उन्हें पता था कि अधिकारियों और चिकित्सकों को साथ लेने मात्र से पोलियो से मुक्ति नहीं पाई जा सकती है, इसलिए वह स्कूलों में गए, आरडब्ल्यूए, सामाजिक व धार्मिक संगठनों के साथ लगातार बैठकें कीं। सेलिब्रिटीज को इससे जोड़ा। उनका ही प्रयास था कि इस अभियान को केंद्र सरकार ने अपनाया और देश पोलियो मुक्त हुआ।

  • उन्होंने ‘अ टेल ऑफ टू ड्रॉप्स’ नामक किताब भी लिखी है, जिसमें उन्होंने पोलियो उन्मूलन के लिए बड़े पैमाने पर चलाए गए अभियान का ज़िक्र किया था।
  • 2001 में रोटरी इंटरनेशनल ने उन्हें ‘पोलियो उन्मूलन चैंपियन अवार्ड’ से सम्मानित किया। वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की दिल्ली शाखा ने उन्हें 2002 में ‘डॉक्टर ऑफ द लास्ट डेकेड’ (स्वास्थ्य रत्न) से नवाज़ा।
  • वह दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री बने। 1997 में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने दिल्ली विधानसभा में धूम्रपान और गैर धूम्रपान करने वालों की दिल्ली निषेध अधिनियम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह किसी भी राज्य सरकार द्वारा लागू पहले तंबाकू कानूनों में से एक था।
  • वे पूर्व में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, पृथ्वी विज्ञान मंत्री रहें। इनके नेतृत्व में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तमाम उपलब्धियां हासिल की हैं। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री के तौर पर इन्होंने पर्यावरण की रक्षा के लिए एक बड़े नागरिक अभियान ग्रीन गुड डीड्स की शुरुआत की थी। इस अभियान को ब्रिक्स देशों ने अपने आधिकारिक प्रस्ताव में शामिल किया था
  • 4.  covid -19 जैसे महामारी से लड़ने के लिए भारत ने जिस तरह से प्रतिबद्धिता दिखाई | उसमें भारत के स्वस्थ मंत्री डॉ हर्षवर्धन का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा | भारत में कोरोना के एक भी केस आने से पहले ही उससे लड़ने का जो ढाँचा तैयार किया था | उसका पूरा क्रेडिट डॉ हर्षवर्धन और उनके टीम को जाता है | जिसके करना आज चार महीने बाद भी भारत एक अच्छी स्तिथि में है |
  • डॉ हर्षवर्धन की सक्रियता को आप मीडिया और सोशल मीडिया में देख सकते है | शायद यही एक करना है की उनको WHO में एक महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दिया गया है |

डॉ हर्षवर्धन के प्रशंसा में कहे गये कथन :-

  • डॉ हर्षवर्धन के पोलियो उन्मूलन में किये गए प्रयास के कारण पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें  स्वास्थ्यवर्धन की उपाधि से सम्मानित किया था |
  • पोलियो कार्यक्रम की कामयाबी पर हर्षवर्धन को विश्व स्वस्थ्य संगठन से भी सम्मान प्राप्त हो चुका है। इसी उपलब्धि के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी हर्षवर्धन की तारीफ कर चुके हैं।
  • पूर्व प्रधानमंत्री आइके गुजराल ने कहा था कि यदि उन्हें देश के किसी मंत्री को उल्लेखनीय कार्य के लिए पुरस्कृत करना हो तो वह इसके लिए डॉ. हर्षवर्धन को चुनना पसंद करेंगे।
  • डॉ. मोंगा बताते हैं कि इस बार ही जब स्वास्थ्य मंत्री बने तो डॉक्टरों का एक दल उनको बधाई देने गया। साथ में पैकेट में बंद भगवान की मूर्ति थी। उन्होंने उसे लेने से साफ मना कर दिया। जब उनसे बताया गया कि मूर्ति है तब भी उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया। आखिरकार प्रतिनिधिमंडल ने ही पैकेट खोलकर मूर्ति देने का प्रस्ताव रखा जिसे उन्होंने माना और पैकेट की जगह मूर्ति ली।

डॉ हर्षवर्धन का व्यक्तित्व एक ऐसा आदर्श राजनीतिक व्यक्तित्व हैं जिन्हें सेवा और सुधारवाद का अक्षय कोश कहा जा सकता है। आपके जीवन की खिड़कियाँ विश्व, राष्ट्र एवं समाज को नई दृष्टि देने के लिए सदैव खुली रहती है। इन्हीं खुली खिड़कियों से आती ताजी हवा के झोंकों का अहसास विश्व की जनता सुदीर्घ काल तक करती रहेगी, उन्हें जो भी दायित्व दिया गया है, वे उस पर खरे उतरेंगे, इसमें कोई सन्देह नहीं हैं।

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