सोनू सूद का जीवन परिचय, संघर्ष और योगदान

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सोनू सूद का जीवन परिचय

आपको दबंग के छेदी लाल , शहीदे आजम के भगत सिंह , जोधा-अकबर के सुजामल या सिम्बा के दूर्वा रवांडा या कितने और अलग -अलग role के लिए याद करूँ, या कोरोना और लॉक-डाउन जैसे मुश्किल परिस्तिथि वाले रियल हीरो के नाम से याद करूँ | जी हाँ हम बात कर रहे है सोनू सूद के बाड़े में ,

उन्होंने जिस तरह से कोरोना काल में हर मुश्किल में फँसे व्यक्ति का मसीहा बने | ऐसे परिस्तिथि में जँहा खुद की जीवन का कोई भरोसा नहीं , वँहा उन्होंने सिर्फ दूसरों के मदद के बाड़े में सोचा ही नहीं बल्कि एक कदम बढ़कर लोगों को मदद किया | एक अकेले इंसान के रूप में उन्होंने जितना बड़ा अभियान चलाया | उसके लिया तारीफ बहुत ही छोटा शब्द है | सोनू सूद के दरियादिल को देखकर पूरा विश्व उनके कायल हो गया | लोगों को किसी सरकार से ज्यादा भरोसा सोनू सूद के ऊपर था | इतना बड़े स्तर पर लोगों का भरोसा जीता की उनको भारत रत्न दिए जाने का कम्पैन चला |

तो आज के पोस्ट में हम सोनू सूद के जीवन को जानेगें  | उनके बचपन , शिक्षा और संस्कार को जानेगें | जिसके कारण वो उन्होंने एक रील हीरो से रियल हीरो तक का सफर कैसे पूरा किये साथ ही उनके जीवन का प्रेरणा स्रोत क्या है ?

प्राम्भिक जीवन

सोनू सूद का जन्म 30 जुलाई 1976 को पंजाब प्रांत के मोगा जिले में एक हिन्दू परिवार में होता है | सोनू सूद के पिता जी का नाम शक्ति कपूर सूद और माता का नाम सरोज सूद है | इनके पिता पेशे से एक बिज़नेस मेन थे और इनकी माता Government स्कूल  में शिक्षिका थी | इनका परिवार एक मध्यम वर्गीय परिवार से तालकु रखता था | उनके पिता मोगा में ही साड़ी का बिज़नेस करते थे और खुद का एक दुकान लगा रखे थे इसलिए इनका बचपन मोगा के गलियों में ही बिता है |

शिक्षा

उनका प्राम्भिक स्कूल सेक्रेड हार्ट स्कूल, मोगा में हुई, और वो बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार थे | जिसके कारण उनके पिता उनको अच्छी शिक्षा देना चाहते थे | जिसके बाद उनके माता-पिता ने इनका एडमिशन नागपुर के यशवंत चौहान कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कराया था। वो चाहते थे कि उनका बेटा पढ़-लिख कर सरकारी नौकरी करें लेकिन लेकिन सोनू सूद शुरू से ही एक्टर बनना चाहते थे। लेकिन उनके माता -पिता इसके लिए तैयार नहीं थे |

 इसके बाद एक बार सोनू सूद अपनी माता से कहते

मैं एक्टर बनना चाहता हूं मुझे एक साल दीजिए अगर मैं बन गया तो ठीक है नहीं तो फिर पिताजी की साड़ी की दुकान संभाल लूंगा या आप जो कहोगी वही करूँगा |

सोनू सूद का संघर्ष -Struggle of Sonu Sood in Hindi

अपने माँ से प्रॉमिस करके सोनू पहुँच जाते है मुंबई एक्टर बनने के लिए, उसके बाद शुरू होता है इनका एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो का चक्कर | सोनू सूद मुंबई में एक छोटे से किराये के घर में रहते थे | उन्होंने कई सालों तक मुंबई में स्ट्रगल किया | सोनू सूद ने एयरटेल जैसी कंपनियों के साथ काम किया हैं| सोनू सूद ने कई एडवर्टाइजमेंट में काम किया और अपनी प्रतिभा को दर्शाने का प्रयत्न किया| इसके पश्चात इन्हें एक एल्बम बनाने का अवसर प्राप्त हुआ| सोनू सूद ने उस अवसर को सही रूप में देखा और सोनू सूद की वह एल्बम सुपरहिट हो गयी|

संघर्ष के दिनों को याद करते हुए सोनू सूद कहते हैं किमुझे याद है पहला ऐड मैंने जूतों का किया था मुझे बोला गया कि ₹3000 एक दिन का मिलेगा। 3 दिन का काम है तो मैंने सोचा अच्छा है 9 से ₹10000 रुपये मिल जाएंगे पूरा महीना आराम से गुजर जाएगा। दोतीन साल किसी तरह सरवाइव करता रहा

सोनू सूद जब मुंबई गए थे तो उनकी माँ, उनको रोज पत्र लिखा करती थी | एक दिन वो अपनी माँ  से पूछते है, जब हमारी बात रोजाना हो ही जाती है तो आप लेटर क्यों लिखती हो। तो उनकी मम्मी बोलती थी कि अभी तो तुमसे बात हो जाया करती है। जब मैं नहीं रहूंगी तो यह लेटर इसका रिकॉर्ड रहेगा। 1992 से लेकर 2007 तक सोनू सूद ने अपने मम्मी का 15 साल के चिट्ठियों को संभाल के रखा है। आज भी जब वो उस पत्र को पढ़ते है, उन्हें ऐसा लगता है जैसे माँ से बात कर रहा हूँ |

सोनू सूद का फ़िल्मी करियर – Filmi carrier of Sonu Sood in Hindi

सन 1999 में एक दिन उन्हें फोन आया कि उन्हें साउथ के एक फ़िल्म के लिए सेलेक्ट कर लिया गया है तो ऑडिशन के लिए आ जाए। सोनू सूद जब ऑडिशन के लिए पहुचे तो उनके साथ एक अजीबोग़रीब घटना हुई। प्रोड्यूसर ने बुलाया उन्होंने उनकी बॉडी देखी और बोला टीशर्ट उतार कर तुम बॉडी दिखा सकते हो । पहले तो सोनू सूद को अजीब लग फिर उन्होंने टी-शर्ट उतार कर अपनी बॉडी दिखाई तो प्रोड्यूसर उनके बॉडी से काफी इंप्रेस हुए और उन्होंने साइन कर लिया, इस तरह सोनू सूद को अपनी पहली फिल्म कलिसघर मिला ,लेकिन सोनू को इस फिल्म से शुरू में कोई खास पहचान नहीं मिली |

हालाँकि उनके लिए फ़िल्मी जगत का रास्ता जरूर खोल दिया | उसके बाद सोनू सूद को लगातार फिल्म मिलने का सिलसिला शुरू होता है | उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू करने से पहले कई तमिल , तेलगु और कन्नड़ फिल्म में काम कर चुके थे |

साल 2002  में फिल्म शाहिद-ए -आजम में सरदार भगत सिंह के रोल के साथ बॉलीवुड में अपना डेब्यू किया | जिसके बाद उन्होंने कई फिल्म की , जिसमें से जोधा-अकबर के सुजामल के रोल के लिए उनकी बहुत ही ज्यादा तारीफ मिला था | जिसके लिए उनके बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवार्ड से नवाजा गया था | जिसके बाद उनके करियर में कई बेहतरीन फिल्म आया जिसमें अरुंधति , दबंग , रमैया वास्ता भैया , हैप्पी नई ईयर , सिम्बा ,एंटरटेनमेंट जैसे फिल्में प्रमुख है |

सोनू सूद का योगदान :– Contributation of Sonu Sood for Nation in Hindi

सोनू सूद ने मुंबई आने के बाद गरीबी को बहुत नजदीक से देखा था | शायद यही वह वजह था, जिसके कारण वो लाखों पीड़ित के दर्द को समझ पाये | कोरोना महामारी के चलते किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के बाद ऐसे हजारों लाखों प्रवासी मजदूर जिनके रोजगार छिन गए थे, जिनके पास खाने तक के पैसे नहीं थे तथा जो अपने घर वापस जाना चाहते थे उन सभी को हर संभव मदद करके उनके घर पहुंचाने का काम सोनू सूद ने अपने हाथों में लिया. अपनी इस मुहिम के अंतर्गत वे 7 लाख से ज्यादा आप्रवासी मजदूरों व् हजारों छात्रों को उनके घर सही सलामत पहुंचा चुके हैं | उन्होंने सिर्फ भारत तक ही नहीं बल्कि विदेशों से भी हज़ारों स्टूडेंट और अप्रवासी भारीतये को सही सलामत उनके घर तक पहुंचा चुके है | इस कोरोना काल में लाखों लोगों का एक मात्र उम्मीद सोनू सूद थे |

सोनू सूद कहते है ” पहले हमरा एक घर था, अब कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर जगह मेरा घर है, और पुरे भारत में मेरे रिश्तेदार फैले हुए है “

सोनू सूद प्रवासी मजदूर को रवाना करते हुए

सोनू सूद कोरोना काल में इतने व्यस्त थे की वो एक दिन में 18 – 20 घंटे तक काम करते थे, वो मुश्किल से 3 -4 घंटे ही सो पाते थे | वो 15 -16 घंटे घर से बहार रहते थे और उसके बाद घर आने के बाद Mail, Twitter और दूसरे सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के जबाब का रिप्लाई करते थे |

अपने 47वें जन्मदिन के अवसर पर उन्होंने एक वेबसाइट भी लांच किये , साथ ही एक ऐप बनाया जिसे प्रवासी रोजगार नाम दिया गया इसका मकसद प्रवासी मजदूरों को जिनका रोजगार कोरोना महामारी के चलते छिन गया था उन्हें अपने आसपास के इलाके में ही आसानी से रोजगार मिल सके |

उनकी इस निस्वार्थ सेवा की चर्चा पूरे देश में हुई और उन्हें पूरे देश में एक सच्चा हीरो की पहचान मिली. हजारों लाखों युवाओं की प्रेरणा स्त्रोत बन चुके सोनू सूद अपनी इन नेक कामों के कारण सभी भारतीयों का दिल जीत चुके हैं |

सोनू सूद का विचार :– Thought of Sonu Sood in Hindi

1. कोरोना काल में इंसान लॉक-डाउन में था , इंसानियत नहीं |

2. जो दुःख में साथ देता है वहीं अपना होता है |

3. पहले हमरा एक घर था, अब कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर जगह मेरा घर है, और पुरे भारत में मेरे रिश्तेदार फैले हुए है

4.  हम सरकार से सिर्फ शिकयत नहीं करें बल्कि अपने तरफ से प्रयास करें , लोगों को मदद करने का |

Take away from life of सोनू सूद :

इंसानियत जिन्दा रहना चाहिए : उन्होंने जिस तरह से पुरे देश को अपना घर और देशवासी को अपना परिवार समझा और अपना वादा भी निभाया , हमें भी इस देश को अपना परिवार समझाना चाहिए और जितना हो सके , हमरी जो भी limitation है उसके साथ ही अपनों और पराया में भेद- भाव समझे , सभी का मदद करना चाहिए | हर इंसान को अपने अंदर के इंसानियत को जिन्दा रखना चाहिए |

सोनू जी ने जिन लोगो की मदद की है उनका कहना है. “सोनू सूद सिर्फ मसीहा नहीं भगवान का रूप है. छल कपटसे भरे इस दुनियाँ में भी सोनू सूद ने एक इंसानियत की मिसाल कायम की है | मैं ही नहीं हमारे पूरे भारतवासी सोनू सूद के लिए एक अच्छा जीवन और खुशियों की प्राथना करते हैं | भगवान उन्हें लम्बी उम्र दे |

आशा करता हूँ आपको ये पोस्ट पसंद आया होगा | सोनू जी के जीवन आपको बहुत ही ज्यादा प्रेरित किया होगा | यदि आपको ये पोस्ट पसंद आया तो दूसरों के साथ भी साझा करें | पूरा पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद

जय हिन्द

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