पढ़े बेहतरीन कलाकार पंकज त्रिपाठी के जीवन परिचय

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बिहार के माटी में पैदा हुआ एक और बीज जो दिन प्रतिदिन अपना कद बढ़ाता जा रहा है और आज ये अपना कद बहुत ही ज्यादा बड़ा चूका है | आज इन्होने ने अपने कद को इतने बड़ा लिए है की लोग इनके फिल्मों का बेसब्री से इंतिजार करते है | ये है मिर्जापुर सीरीज के ” कालीन भैया  ” , ये है गैंग ऑफ़ वासेपुर का ” सुल्तान ” और हाल ही में रिलीज़ हुई LUDO का ” सत्तू ” और ना जाने लोग इनको किस किस रोल के लिए याद करते है |  हम बात कर रहे है मशहूर कलाकार और दर्शकों को अपने अदाकारी से पागल बनाने वाले पंकज त्रिपाठी जी के बाड़े में | इनका जीवन भी लूडो के इस गाने की तरह है ” ‘किस्मत की हवा कभी इधर-2 कभी उधर-2 जिंदगी का मजा कभी नरम-2 कभी गरम-2

आज का मेरा पोस्ट पंकज त्रिपाठी के बड़े में है | मैं आपको उनके एक गांव से मुंबई के तक के सफर के बाड़े में बतानेवाला हूँ | आखिर उन्होंने ये सफर किस तरह तय किया है |

पंकज त्रिपाठी कौन है ?– Who is pankj Tripathi

पंकज त्रिपाठी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बहुत ही प्रिशिद्ध अभिनेता है | जो बहुत ही ज्यादा मेहनती है,  वो इतना ज्यादा मेहनत करते है की उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि ” वो 365 दिन में से 350 दिन काम करते है “ | उनके पास इंटरव्यू देने का भी समय नहीं होता है | क्यूँकि उन्होंने फिल्म में कैरियर बनाने से पहले 10 – 12 साल तक लाइन में धक्का खाया  | इसलिए पंकज त्रिपाठी को आज भी इसका महत्त्व मालूम है |

त्रिपाठी जी का शुरुआती जीवन और शिक्षा – Tripathi ji ka shruatio jeevan aur Shiksha

त्रिपाठी जी का शुरुआती जीवन

पंकज त्रिपाठी का जन्म बिहार के गोपालगंज जिला के बेलसंद गांव में हुआ था | जो गोपालगंज से 26 KM दूर है जो गंडक नदी के किनारे बसा हुआ है | इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था | इनके पिता का नाम पंडित बनारस तिवारी तथा माता का नाम हेमवंती है | इनकी स्कूली शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में हुआ |

पंकज त्रिपाठी उनदिनों को याद करके बहुत खुश होते है और कहते है

मेरा बचपन प्राकृतिक के गोद में बिता , जीवन में कोई दुःख नहीं था | क्यूँकि ये पता ही नहीं था की बाहर का दुनियाँ कैसा है | हम नदी में तैरने जाया करते थे | लेकिन अब जब तैरने के लायक हुआ तो नदी से ही दूर हो गया | मैं गरीब हूँ ऐसा कभी  एहसास नहीं था | शुरुआत की मेरी पढाई  ऐसे प्राकृतिक वातावरण में हुई है जहाँ कोई प्रदुषण नहीं था . पांचवी कक्षा तक हमलोग पेड़ के निचे बैठकर पढ़ते थे क्योकि वहां कोई स्कूल नहीं था ”

पंकज के पिताजी बचपन में, उन्हें पढ़ा-लिखा कर डॉक्टर बनाना चाहते थे. उनकी ख़्वाहिश थी उनका बेटा पटना जैसे बड़े शहर में काम करे और परिवार का नाम रौशन करे. इसलिए उनके माँ बाप ने पढाई करने के लिए उन्हें पटना भेज दिया . उन्होंने  बायोलॉजी से इंटर किया है और कुछ सालों तक डॉक्टरी की कोचिंग भी की . दो दफे इम्तिहान भी दिया लेकिन डॉक्टरी के लिए जितने नंबर चाहिए होते थे उतने नहीं आ पाए | बाद में पंकज त्रिपाठी का ध्यान नाटक और रंग मंच ने अपनी ओर खींचा | शुरुआत में उनको नाटक देखने में बहुत अच्छा लगता है | धीरे -धीरे वो नाटक में  छोटा मोटा रोल भी करने लगे | फिर पंकज बाबू ड्रामा में ही अपना करियर बनाने का निश्चय करके दिल्ली जाते है और दिल्ली स्कूल ऑफ़ ड्रामा से ड्रामा सब्जेक्ट के साथ स्नातक करते है |

पंकज त्रिपाठी का प्यार कि कहानी – Pankaj Tripathi Love lfie

आपको ये जान कर हैरानी होगा की पंकज त्रिपाठी जब पहली बार मुंबई आते तो अपने पत्नी के साथ आते है | साधारणतः मुंबई जो कलाकार बनने आता वो अकेले आता है लेकिन पंकज जी जरा हटके थे | ये तो आप इनको और इनके अदाकारी के देखकर भी पता लगा सकते है |

ये बात है 1993 की जब पंकज जी अपने जीवन साथी को पहली बार अपने बहन के तिलक में देखते है और तभी ये निश्चय कर लेते है की अब जीवन इन्हीं के साथ बितान है |

पंकज त्रिपाठी का प्यार कि कहानी

पंकज त्रिपाठी उन दिनों को याद करते हुए कहते है एक इंटरव्यू में कहते है

” पहले डेट बोले तो जनवरी, फरबरी ,सोमवार -मगल और एक दो होता था, और मोबाइल तो होता ही नहीं था हमलोग 1 – 2 साल में एक -आध बार मिल लेते थे | जब हम दिल्ली में रहते थे और वो कोलकाता में रहती थी तो रात को लैंड लाइन पर फ़ोन आता था और खाना का थाली के साथ वही लैंड लाइन के पास बैठते थे, और वही कुछ बातें हो जाता था | “

बाद में दोनों शादी कर लेते है | उसके पंकज त्रिपाठी , मृदुला जी के साथ मुंबई में एक्टर बनने के लिए निकल जाते है | और अब शुरू होता है मुंबई का सफर

पंकज त्रिपाठी जी का फ़िल्मी सफर – Filmi Carrier of Pankaj Tripathi

पंकज त्रिपाठी का अब शुरू होता है रिजेक्ट होने का सफर , पंकज त्रिपाठी अपने पास ड्रामा का डिग्री लेके स्टूडियो , स्टूडियो ऑडिशन देने जाते है | पंकज त्रिपाठी ये स्ट्रगल लगभग 10 साल तक किया |

पंकज त्रिपाठी वो दिन याद करते हुए कहते है कि उनको इतने बार reject किया जाता था कि , वो जब अगली बार ऑडिशन देने जाते थे तो यदि डर बना रहता था कि कहीं फिर से रिजेक्ट ना कर दें | ये डर ऐसा था की गेट खुलता था और बोला जाता था ” reject |

रामगोपाल बर्मा के किस्से

पंकज त्रिपाठी बताते है उन दिनों रामु जी नए -नए लोगों को बहुत मौके दे रहे थे | इसलिए मैं अक्सर उनके स्टूडियो के पास जाता रहता है | एक दिन रामु जी का हम पर नजर पड़ा उन्होंने हमको बुलाया उसके बाद मुझे बठैने बोले , मैं सामने कुर्सी पर बैठा |

रामु जी मुझे 4 मिनट तक देखते रहे ” मैं सोच रहा था इतना बड़ा डायरेक्टर हमको इतना देर से देख रहे है | मुझे देखते तो मैं नजर नहीं मिला पता था |

फिर वो मुझे कहते है तुम कल फिर आना, एक कोट और टोपी लगा कर

उस समय पैसे का बहुत तंगी होता था लेकिन फिर भी मैंने 3600 का एक जैकेट और एक कैप लिए | और  एक बार फिर से पहूंच गया रामु जी के स्टूडियो को ,इसबार उन्होंने मुझे एक बड़ा सा सोफा पर बैठने बोले

और फिर शुरू हुआ घूरने का सिलसिला वो फिर से मुझे घूरते रहे , चार मिनट घूरने के बाद उन्होंने जीवन में फिर मुझे कभी नहीं घुरा (हँसते हुए)

वर्ष 2004 में ही उन्हें फिल्म रन में एक छोटा सा रोल मिल गया । उसके बाद उनको अपहरण , ओमकारा ,धर्म , शौर्य , चिंटू जी और रावण जैसी फिल्में की लेकिन फिल्में तो सफल रही लेकिन पंकज त्रिपाठी को अभी तक वो मुकाम नहीं मिला था जिसके वो हक़दार थे | उनको अभी भी उस रोल का इंतिजार था |

गैंग्स ऑफ़ वासेपुर

यही वो फिल्म था जिसने पंकज त्रिपाठी के फ़िल्मी कैरियर की path-breaker फिल्म साबित हुए | इस फिल्म के किरायदार को याद करते हुए पंकज त्रिपाठी बताते है “उनको ये रोल समझ नहीं आ रहा था , उनको लग रहा था यँहा सब गोलियाँ चला रहा है और हम क्या रोल कर रहे है ? इसलिए सूटिंग खत्म होने के बाद अनुराग कश्यप से पूछते थे | कैसा किया मैं अनुराग बस इतना ही बोलते थे ” अरे मस्त तू बस देखता जा ” | पंकज बताते है वो अनुराग का आँख देख रहा था जो मैं देख नहीं पा रहा था ”

और जब फिल्म रिलीज़ हुआ तो बहुत बड़ी सफल फिल्म साबित हुआ | और लोगों ने पंकज त्रिपाठी का भी खूब तारीफ किया | यही वो फिल्म था जँहा से अब धीरे -धीरे अच्छी फिल्म पंकज त्रिपाठी के झोली में अच्छे रोल आना शुरू हुआ |

गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ के इस किरदार ने बॉलीवुड में पंकज के लिए अपने दरवाजे खोल दिए, जिसके बाद पंकज ने ‘फुकरे’, ‘निल बट्टे सन्नाटा, ‘बरेली की बर्फी’ न्यूटन , जैसी मसाला फ़िल्मों के साथ ही ‘मसान’ और ‘मांझी’ जैसी आर्ट फ़िल्में भी की.| इसके बाद पंकज की पहली 100 करोड़ी फिल्म स्त्री आयी |

फिर सिलसिला शुरू होता है , वेब सीरीज का और आता है मिर्जापुर वेब सीरीज इतना ज्यादा प्रिशिद्ध हुआ की इसने वेब सीरीज का एक नया दास्ताँ लिखना शुरू कर दिया | इसमें पंकज त्रिपाठी के कालीन भैया वाला रोल तो इतना प्रिशिद्धि हुआ की , की इसका गूंज पुरे देश में सुनाई दे रहा था जिधर जाये उधर सिर्फ मिर्जापुर और पंकज त्रिपाठी का चर्चा था |

आज पंकज त्रिपाठी दिन -दिन प्रतिदिन बुलंदियों को छू रहे है | आज हर वेब सीरीज और स्टोरी बेस्ड फिल्म की आत्मा है पंकज त्रिपाठी | इनके हर छोटे – छोटे रोल के दीवाने है दर्शक | इसका अभिनय इतना वास्तविक और सुकून देने वाला होता है की लोग फिल्म का नाम भूल जाते है लेकिन पंकज त्रिपाठी के रोल को नहीं भूलते है |

हॉलीवुड अभिनेत्री Lusi -lyu  20 मिनट की एक फिल्म बना रही थीं. उसमें छोटी बच्चियों के साथ रेप सीन थे . लूसी भारत आई थीं पंकज से मिलीं और वो सीन करने को बोला लेकिन पंकज ने मना कर दिया .उन्होंने बोला – मेरी कुछ सीमाएं हैं. मैं कला के नाम पर कुछ भी नहीं कर सकता. वो सीन प्रोफेशनल कलाकारों के साथ नहीं बच्चियों के साथ करना था. उन पर क्या असर होता? लूसी ने मुझे समझाया लेकिन मुझे क्रूरता पसंद नहीं है.

पंकज कहते है 

मैं हर नकारात्मक किरदार में सकारात्मकता लाना चाहता हूं. किसी भी प्रकार की एक्टिंग हो उसमें रस बना रहना चाहिए क्योंकि दर्शक उसी वजह से मुझे देखेंगे. नीरस हो जाऊंगा तो लोग सिनेमा हॉल में 200 रुपया का टिकट लेकर मेरा प्रवचन सुनने नहीं आएंगे.”

पंकज त्रिपाठी के विचार – Thought of Pankaj Tripathi

  • जिस देश में कन्फर्म टिकट के लिए इतना भीड़ है | जँहा 1000 सीट के वैकेंसी के लिए 10 लाख फॉर्म भरे जाते है | वँहा आप कम्पटीशन के क्या बात करते है | कम्पटीशन हर जगह है | फिल्म , क्रिकेट और राजनीती में चका-चौंध ज्यादा है | आपको रुकना पड़ता है , समय देना पड़ता है | यदि आप ईमानदारी से मेहनत करेंगे तो आपको सफलता जरूर मिलेगा |
  • हर बच्चा को जो बारहवीं पास कर लेता है उसे एक बार पूरा देश जरूर घूमना चाहिए | आप जनरल में ही जाये लेकिन एक बार पूरा देश जरुर घूमये | यँहा घूमना बहुत आसान और सस्ता है | कँही गुरुद्वारे में भोजन कर लिए कंही किसी मंदिर में रात गुजर लिए | आपको अपना मुकाम मिल जायेगा |
  • जीवन में हजारों असफलता के बाद सफलता मिलता है | इसलिए असफलता है घबराना नाहि है | बस डटे रहना है |
  • हम पीछे जा कर कुछ सही नहीं कर सकते है | लेकिन आगे कर सकते है इसलिए past का अपना अनुभव बना लें और फ्यूचर पर फोकस करें |
  • हमें दुःख का अहसास तब तक नहीं होता है | जब तक हम चीजों को जानने नहीं लगते है | मुझे आज भी फ्रीज़ का खाना पसंद नाहि है | इसलिए मैं जीवन कभी भी दुःखी नहीं रहा हूँ |

Take away from life of Pankaj Tripati :

1. कम्पटीशन के घबराने का नहीं : कभी भी कम्पटीशन को देखकर फैसला ना बदले | यदि पंकज त्रिपाठी कम्पटीशन को देखकर भाग गए होते तो क्या बॉलवुड को इतना बड़ा कलाकार मिल पता |

2. असफ़लत से डरने का नहीं  : पंकज त्रिपाठी ने अपने जीवन में एक अच्छे रोल के लगभग 10 साल तक इंतिजार किया | तब जा कर उनके हिस्से में गैंग्स ऑफ़ वासेपुर आया | इसलिए असफलता है घबराने का नहीं है |

आशा करता हूँ ये पोस्ट आपको पसंद आया होगा | यदि पोस्ट अच्छा लगा तो दूसरों के साथ भी साझा करें | पूरा पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद

जय हिन्द

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