अकेलापन श्राप या वरदान

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अकेलापन श्राप या वरदान

अकेलापन श्राप या वरदान , कोरोना काल के शांति ने इतना शोर मचाया है की सारा पृथ्वी गूँज उठा है | और लोग पूछ रहे है इतना सन्नाटा क्यों है भाई , और इसका जबाब कुछ गिने -चुने लोगों के पास ही है |

कोरोना वायरस के बाद के लॉक-डाउन ने बाद लोग अकेलापन से गुजर रहे है इस बात से कोई इंकार नहीं कर रहा है | और इसके जिस तरह से परिणाम आ रहा है वो इस अकेलापन या सूनापन को श्राप ही बता रहा है | क्यूँकि ज़्यदातर लोग इसके नेगेटिव परिणाम से ही परेशान है |

इसके कारण को जानने और इसका विस्तार से पड़ताल करने से पहले चलते है आज से 5000 साल पूर्व में और ये कहानी है सिद्धार्थ से बुद्ध बनने का , जो की आप लोग सभी जानते है | सिद्धार्थ जो की होनेवाल राजा था | लेकिन वो हज़ारो लोगों के बीच अपने आप को अकेला मसहूस कर रहा था | और एक रात सिद्धर्थ अपने राज्य और प्रजा के साथ अपने पत्नी यशोधरा और पुत्र को भी अकेला छोड़ कर जा चूका था |

और अब अकेलापन शुरू होता है रानी यशोधर का , जो ये सोचती है अब क्या करना है , मेरा गलती क्या था, और इन सब प्रश्न के साथ वो इन्तिज़ार करती है उस दिन का जब वो बुद्ध से इसका कारण पूछेगी | और एक दिन ऐसा आता भी है और यशोधर जाती है और पूछती हे बुद्ध से आखिर मेरे गलती क्या थी जो तुमने मुझे ऐसे त्याग दिया ? और बुद्ध कहते है तुम जिससे बात कर रही वो बुद्ध और तुमको जो छोड़ा था वो सिद्धार्थ था |

अब लौटते है आज की परिदृश्य में ,लकक-डाउन के बाद जो 99 % के लोगों का अकेलापन है वो यशोधरा का अकेलापन , जिसके कारण ये अकेलापन श्राप है |

बुद्ध का अकेलापन उनका आंतरिक अकेलपन था जो उन्हें बेचैन कर रहा था ,जो जिंदगी में कुछ प्राप्त करना चाहते थे उनको जिंदिगी के सचाई मालूम हो गया और वो उसको जानने के लिए निकल चुके थे | जबकि यशोधरा का अकेलापन बाहरी अकेलापन था , जो की जिंदिगी भर एक प्रश्न को लेकर जीती रही |

अभी की परिदृश्य में भी 99% लोग बहरी कारक से परेशान है , उनके अकेलेपन का कारण बहरी तत्व है , वो कोई आदमी है , कोई वास्तु है या कोई इच्क्षा और आकांक्षा है |

1. परिस्थितिजन्य अकेलापन (Situational Loneliness ) :

अभी का अकेलापन Situational  loneliness ही है, लोग ऐसी लॉक-डाउन से परेशान हो गए है | उनकी एक्टिविटी में एक बहुत बड़ा बदलाव आ गया है | जिससे लोग परेशान होगये है | और मानव इस स्तिथि को बदलना चाहता है | लेकिन लॉक-डाउन बदलने नहीं देता है |

बहुत बड़ी संख्या में लोग अकेले रह रहे है और वो अपने परिवार मित्र से मिलने के लिए परेशान हो रहे है | तो ये पूर्णतः परिस्थितिजन्य अकेलापन है |

2 . आंतरिक अकेलापन (Internal Loneliness)

जी हाँ ये बुद्ध वाला अकेलापन है | लेकिन आधुनकि जीवन में एक शब्द है प्राइवेट जो बहुत ही जय्दा हलचल मचा रखा है | और हर आदमी कुछ ना कुछ ऐसा करता है जो वो किसी के साथ भी शेयर नहीं करता है | या यूँ कहे की माता-पिता से बिलकुल भी शेयर नहीं करता है |

और वैसे लोग लोगों के बीच भी खुद को अकेला महसूस करते रहता है , और बताता किसी को नहीं है | हर हमेशा निराश रहने का मन बना लेता है |

3.  विकास से जुड़ा अकेलापन (Developmental Loneliness)

ये अकेलापन खासकर इस बढ़ती हुई कम्पटीशन के कारण शुरू हुआ है | इस किस्म के अकेलेपन में इंसान को महसूस हो सकता है कि हर कोई उसके बिना ही आगे बढ़ता जा रहा है जबकि वह कहीं पीछे छूटता जा रहा है। आपको महसूस हो सकता है कि कभी आपके साथ रहे लोग एग्जाम पर एग्जाम क्लियर कर रहे हैं, प्रमोशन पा रहे हैं या अपनी फैमिली शुरू कर रहे हैं। कई बार खुद के पीछे छूट जाने का अहसास या इस तरह की भावनाएं भी अकेलेपन को जन्म देती हैं।

अकेलापन समस्या है लेकिन इतनी बड़ी नहीं की इससे बहार ही नहीं निकल सकते है | ये ऐसी बीमारी है जिससे बहार निकलना बहुत ही ज्याद आसान है बस जरुरत है नजरिया बदलने की , नजरिया बदलते ही नज़ारे बदल जाते है  इससे से बहार निकलने का कुछ बहुत ही बेहतरीन तरीका आपके साथ साझा कर रहा हूँ :

1. एक परम मित्र बनाये :

वैसे तो संसार में सभी रिश्ते का अपना महत्त्व है, लेकिन दोस्ती का अपन एक अलग ही स्थान है | दुनियाँ के सारे रिश्ते एक मर्यादा का होता है , जैसे कैसे आचरण करना है , कैसे बात करना है , कैसे बैठना है , कैसे पूछना है, बगेरा -बगेरा  ………   .

 लेकिन मित्रता का ऐसी कोई मर्यादा या सिमा नहीं होता है | वो बरबरा का होता है , | अमूमन आप एक रिश्ते की बात को दूसरे रिश्ते के साथ साझा नहीं कर सकते , जैसे पत्नी की बात , माता-पिता से नहीं कह सकते , माता -पिता की बात दादा -दादी के पास नहीं कह सकते , बहन की बात पत्नी को नहीं कह सकते | लेकिन एक दोस्त के पास दुनियाँ के सारे रिश्ते नाते का बात कर सकते है |

हम जिंदगी के परेशानी को भी घर में नहीं कहते है की परिवार परेशान हो जायेगा | लेकिन दोस्त के पास दिल खोल कर कह सकते है |

जिंदिगी के मुश्किल समय में दोस्त हमारे इरादों के साथ मजबूत चट्टान की तरह खड़ा रहता है | एक मित्र हमें किसी भी मुश्किल परिस्तिथि से बहरा निकल सकता है | इसलिए जिंदिगी के अकेलापन को दूर करने के लिए एक सच्चे मित्र का होना बहुत जरुरी है |

2. अपने लोगों को तलाशें :

मानव एक सामाजिक प्राणी है , यदि आप समाज के सम्पर्क में है तो आप मानशिक रूप से स्वस्थ है ये बात स्टडीज से पता चला है कि कम्यूनिटी से जुड़कर रहने का सीधा असर इंसान की मानसिक सेहत पर भी पड़ता है। इन दिनों हर चीज के लिए ग्रुप बनाने का चलन है। नई वर्कआउट क्लास शुरू करें, या साथ में बैठकर क्वीज खेलें, या फिर वीकेंड में साथ मिलकर कहीं जाने और कुछ खाने का प्लान बना लें। जरूरी नहीं है कि दोस्तों के साथ, किसी भी उस शख्स के साथ जिसके साथ रहने से आपको दो मिनट के लिए भी अच्छा फील होता है। अगर फिर भी आप दोस्त नहीं तलाश पा रहे हैं तो आप सोशल डेटिंग साइट्स का सहारा ले सकते हैं।

3. दिलखोल कर बातें करें

बहार निकले और लोगों से खुल कर मिले , ऐसे बात करें की लोगों को दीवाना बना दें , जब किसी के साथ हो तो सिर्फ उसकी के साथ रहे | ऐसा ना की आप है कहीं और दिमाग कहि और | लोगों से बातचीत करना शुरू करें। उन लोगों से बात करें जिन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में आप देखते हैं। ऐसे लोग आपको उस चाय की दुकान पर मिल जाएंगे जहां आप रोज चाय पीने जाते हैं। या फिर ऑफिस ब्वॉय या गार्ड से बात कीजिए। लोकल सैलून में जाइए, वहां पर हेयर ड्रेसर से ही बात कीजिए। लेकिन बात कीजिए।

कई स्टडीज बताती हैं कि, दूसरों से खुले दिल से मिलने पर वही लोग आपकी जिंदगी में खुशी की वजह बनने लगते हैं। इसलिए अगली बार जब भी आप कॉफी का कप लें या गार्ड आपके लिए दरवाजा खोले या फिर ड्राइवर आपको मुकाम पर छोड़े, उसे थैंक्स कहें। किसी से भी बात की शुरुआत करने से पहले ”प्लीज” और ‘थैंक्स’ जरूर कहें। लोगों से उनके नाम पूछें। यकीन मानिए, कुछ ही दिनों में आप अपने पास ढेर सारे दोस्त बना लेंगे।

4. आध्यतमिक बने

ये मेरा विश्वास है की लोगों को थोड़ा आध्यात्मिक होना चाहिए, आप हर सुबह उठकर भजन सुन सकते है , माथे पर चंदन करने का आदत बना सकते है | मैं इसके पीछे का वैज्ञानिक कारन तो नहीं जनता हूँ , पर इतना कह सकता हूँ की आपको विपरीत परिस्तिथि में एक ताकत मिलेगा | आपको ऐसा आभास होगा की मुश्किल समय में कोई तो आपके साथ है |

ऐसे भजन सुनने का अपना लाभ है , भजन सुनने से मन शांत होता है और चिंता तथा रोग से मुक्त करता है | भजन सुनाने के वैज्ञानिक करना भी है | यदि ॐ का उच्चारण वाला भजन सुना जाए तो इसके और भी कई लाभ है |

अंत में

अकेलापन को श्राप नहीं बनाने दे अकेलपन को अपना ताकत बनायें | और इस अकेलापन में कुछ ऐसा कर गुजरये की सारा दुनियाँ  आपको अपना बनाना चाहे |

वो तुम्हारे नज़रिए से अकेलापन हो सकता है

पर मेरे नज़रिए से देखो वो मेरा सुकून है।

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4 Comments

  1. अकेलापन का कारण और समाधान ढूढते इस लेख का उद्देश्य सकारात्मक है| विभिन्न प्रसंगों, तथ्यों और आदतों के माध्यम से यह दर्शाना कि अकेलापन बुरा है, अंशतः सही है पुर्णतः नहीं|

    क्योंकि एकांतवास का भी उद्देश्य होता है और उद्देश्य के कारण भी एकांतवास होता है, यह समझना अत्यावश्यक है|

    अकेलापन विषय पर बहुत सुंदर विचार है|
    लेख के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ|
    आगामी भविष्य के लिए मेरी ओर से असीम मंगलकामनाएं|

    1. आपका सुझाब बहुत महत्वपूर्ण है, मैं इसके बाड़े में विस्तार से अगले पोस्ट में जरुरु लीखूंगा धन्यवाद

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